कम्प्युटर क्या है –
What is Computer
Computer का नाम सुनते ही मन में सैंकडो विचार आने लगते है. क्योंकि Computer सैंकडो गतिविधिया अकेला कर सकता है. हाँ, सैंकडो! आपने सही पढा और वो भी एक साथ. Computer को शब्दो मे बांधना थोडा सा मुश्किल होता हैं. ऐसा इसलिए है कि हर इंसान Computer का उपयोग अलग-अलग कार्यों के लिए करता है.
अगर आप एक लेखक/टाईपिस्ट से पूछोगे कि Computer क्या है? तो वह शायद कहे की Computer एक टाईप मशीन हैं. इसी तरह हम एक गेम खेलने वाले बालक से पूछे तो वह शायद कहे कि Computer तो एक गेम मशीन है. इसलिए हम कह सकते है कि Computer को किसी एक अर्थ में नही बांधा जा सकता है. Computer का अर्थ उसके उपयोग के आधार पर हर व्यक्ति के लिए अलग है. कम्प्युटर के इतने अर्थ होने के बावजूद हमने आपके लिए Computer को परिभाषित करने कि एक कोशिश की है. इस कम्प्युटर की परीभाषा को आप कम्प्युटर की एक प्रमाणित परिभाषा नही मान सकते है. क्योंकि कार्य के आधार पर कम्प्युटर के अर्थ भी बदल जाते है.
कम्प्युटर की परिभाषा
और
Computer की Full Form
“Computer एक मशीन है जो कुछ तय निर्देशों के अनुसार कार्य को संपादित करते है. और ज्यादा कहे तो Computer एक इलेक्ट्रोनिक उपकरण है जो इनपुट उपकरणों की मदद से आँकडों को स्वीकार करता है उन्हें प्रोसेस करता है और उन आँकडों को आउटपुट उपकरणों की मदद से सूचना के रूप में प्रदान करता है.”
Computer एक अंग्रेजी शब्द है. Computer का हिंदी में मतलब “गणना” होता है. इसका मतलब कम्प्युटर एक गणकयंत्र (Calculator) है. लेकिन, कम्प्युटर को एक जोडने वाली मशीन कहना गलत होगा. क्योंकि कम्प्युटर जोडने के अलावा सैकडों अलग-अलग कार्य करता है.
इसलिए आज तक भी हम Computer को एक परिभाषा में नही बाँध पाएं है. अलग-अलग लोगों और संस्थाओं ने Computer की Full Form बताई है. लेकिन, इनमे से कोई भी Standard Full Form नही है. हमने आपके लिए एक Computer की Full Form नीचे बताई है. जो काफी लोकप्रिय और अर्थपूर्ण है.
C – Common
O – Operating
M – Machine
P – Particularly
U – Used in
T – Technology
E – Education and
R – Research
अर्थात Common Operating Machine Particularly Used in Technology Education and Research.
Computer के प्रकार
कंप्युटर के मुख्य रूप से तीन प्रकार होते हैं. इनके बारे में आप अधिक जानकारी कंप्युटर के प्रकार Lesson से ले सकते है.
- अनुप्रयोग (Application)
- उद्देशय (Purpose)
- आकार (Size)
Computer का परिचय
Computer अपना कार्य अकेला नही कर सकता है. Computer किसी कार्य को करने के लिए कई तरह के उपकरणों तथा प्रोग्राम की सहायता लेता है. Computer के ये उपकरण और प्रोग्राम क्रमश: ‘Hardware तथा Software ‘ के नाम से जाने जाते है. Computer के इन उपकरणों तथा प्रोग्राम के बारे में आप अगले Lessons में जान पाएंगे.
आइए Computer उपकरणों के बारे में संक्षिप्त में जानते है.
1. System Unit
System Unit एक बक्सा होता है जिसमें Computer को अपना कार्य करने के लिए आवश्यक यंत्र लगे होते है. सिस्टम युनिट को ‘C.P.U. भी कहा जाता है. इसमें mother board, processor आदि यत्रं होते है जो Computer को कार्य करने लायक बनाते है. इसे case भी कहते है.
2. Monitor
Monitor एक आउटपुट उपकरण है जो हमें दिए गए निर्देशों के परिणामों को दिखाता है. यह बिल्कुल टीवी के जैसा होता है. वर्तमान में मॉनिटरो की जगह एल सी डी एवं एल ई डी ने ले ली है.
3. Keyboard
Keyboard एक इनपुट उपकरण है जो हमें Computer को निर्देश देने के लिए होता है. इसकी मदद से ही Computer को वांछित आंकडे एवं निर्देश दिए जाते है. इसमे विभिन्न प्रकार की कुंजिया (keys) होती है इन्ही के द्वारा आंकडे एवं निर्देश Computer तक पहुंचाए जाते है. आप यहाँ से Keyboard का उपयोग करना सीख सकते है.
4. Mouse
Mouse भी एक इनपुट उपकरण है जो Computer को निर्देश देने के लिए होता है. हम इसके द्वारा Computer में उपलब्ध प्रोग्राम को चुनते है. आप यहाँ से Mouse का उपयोग करना सीख सकते है.
5. Speakers
Speakers आउटपुट उपकरण है जो हमें Computer से आवाज को सुनने में मदद करते है. इन्ही के द्वारा हमें गानों, फिल्मों, प्रोग्रामों तथा खेलों आदि में उपलब्ध ध्वनी सुनाई देती है.
6. Printer
Printer भी एक आउटपुट उपकरण है जो Computer द्वारा विश्लेषित सूचनाओं को कागज पर प्राप्त करने के लिए होता है. कागज पर प्राप्त होने वाली सूचनाओं को ‘हार्डकॉपी’ भी कहते है. और इसके उलट जो सूचनाए Computer में ही रक्षित रहती है उन्हे ‘सॉफ्टकॉपी’ कहते है.
Types of Computer
जब हम Computer की बात करते है तो हमारे दिमाग में घरों या कार्योलयों में रखे Computer आते है, या फिर लेपटॉप तथा नोटबुक के बारे में सोचने लगते है. दरअसल, Computer यहाँ तक ही सीमित नही हैं. Computer हमारे चारों तरफ हैं. इनको, हम आकार (Size), उपयोग (Application) तथा कार्यक्षमता के आधार पर विभिन्न श्रेणीयों में रख सकते है.
मुख्यत: Computer को पाँच प्रकारों में बाँटा जाता है. लेकिन, हमने यहाँ Computer को सिर्फ चार मुख्य श्रेणीयों में विभाजित किया है.
अनुप्रयोग (Application)
उद्देशय (Purpose)
आकार (Size)
आधुनिकता (Modernity)
अनुप्रयोग (Application) के आधार पर Computer के प्रकार
1. Analog Computer
Analog Computer एक ऐसी मशीन है जो आँकड़ों को एक भौतिक मात्रा (दाब, तापमान, लम्बाई, ऊँचाई आदि) को दर्शाता है, यह आँकड़े सतत (लगातार) परिवर्तित होते रहते है. Analog Computer की कार्यक्षमता तेज होती है. इनका परिणाम हमें ग्राफ आदि के रूप में प्राप्त होता है. Analog Computer आँकड़े store नही कर सकता है. इनका उपयोग तकनीक, विज्ञान, शिक्षा आदि क्षेत्रों में किया जाता है. थर्मामीटर एक Analog Computer हैं.
2. Digital Computer
यह Computer Analog Computer से भिन्न होता है. एक Computer जो सूचनाओं को अंकीय रूप में process करता है उसे Digital Computer कहा जात है. Digital Computer सूचनाओं को अंकीय रूप में दर्शाने के लिए Binary System (0,1) का इस्तेमाल करता है. ये Computer गणीतिय तथा तार्किक कार्य करने में सक्षम होता है. जैसे, एक Calculator. ये Computer Analog Computer से कुछ धीमें लेकिन परिणाम में अधिक शुद्ध होते है. Digital Computer सूचनाओं को store कर सकते है. एक Digital Computer गिनता है और Analog Computer मापता है.
3. Hybrid Computer
ये Computer एक Analog Computer तथा एक Digital Computer की विशेषताए लिए होते है. Hybrid Computer इन दोनो तरह के Computer से अधिक तेज और परिणाम शुद्ध होते है. इन Computers में Digital Computer एक नियत्रंक तथा अंकिय कार्य करने के लिए होता है, वहीं, Analog Computer समस्या का हल करते है. इनका उपयोग जटिल गणीतिय समीकरण, वैज्ञानिक गणनाए तथा रक्षा आदि के क्षेत्रों में किया जाता है. Patrol Pump Machine, Speedometer आदि Hybrid Computer के आसान उदाहरण हैं.
उद्देशय (Purpose) के आधार पर Computer के प्रकार
1. General Purpose Computer
आज जो कम्प्युटर हम उपयोग करते है वे सभी लगभग General Purpose Computer ही होते है. आप, इस पाठ को एक सामान्य उद्देश्य कम्प्युटर पर ही पढ़ रहे है और हमने भी यह पाठ एक सामान्य उद्देश्य कम्प्युटर पर तैयार किया है. सामान्य उद्देश्य कम्प्युटर एक ऐसा कम्प्युटर होता है जो कई क्रियाकलापों को कर सकने कि क्षमता रखता है. आप, इसके द्वारा शोध पत्र लिख सकते है, अपने घर, कार्यालय का बजट तैयार कर सकते है, व्यवसाय की बिक्री का चार्ट आदि कार्य एक ही मशीन द्वारा कर सकते है. Desktop, Notebooks आदि सभी सामान्य उद्देश्य कम्प्युटर है.
2. Special Purpose Computer
जैसा की नाम से जाहिर होता है, इस प्रकार के कम्प्युटर किसी कार्य विशेष को करने के लिए विकसित किए जाते है. इनका कार्य केवल एक ही तरह के कार्य को करना होता है. जैसे, परिवहन नियत्रंण करना, मौसम की भविष्यवाणी करना आदि. इस प्रकार के कम्प्युटर सामान्य उद्देश्य कम्प्युटर की तुलना में अधिक तेज होते है. लेकिन, ये कम्प्युटर एक सामान्य उद्देश्य कम्प्युटर की भाँति भिन्न प्रकार के कार्य नही कर सकते है.
आकार (Size) के आधार पर Computer के प्रकार
1. Micro Computer
Micro Computer तेजी से बढ़ता हुआ तथा व्यापक रूप में इस्तेमाल होने वाला कम्प्युटर है. यह सभी तरह के कम्युटर से सस्ता एवं हल्का होता है. यह आकार में भी सबसे छोटा होता है. इस प्रकार के कम्प्युटर को सामान्य उद्देश्य जैसे, मनोरंजन, शिक्षा, घर तथा कार्यालय इस्तेमाल आदि के लिए विकसित किया गया है. PCs, Notebooks, Laptops, PDAs (Personal Digital Assistants) आदि Micro Computer है.
2. Work Station
आमतौर पर एक ऐसा कम्प्युटर जो किसी Network से Connect (जुडा) होता है उसे ही Work Station कहते है. इनको व्यवसाय तथा पेशेवरों को ध्यान में रखकर विकसित किया जाता है. ये कम्प्युटर Micro Computers से अधिक तेज एवं क्षमतावान होते है.
3. Mini Computer
Mini Computers को ‘Mid range Computer’ भी कहा जाता है. इनका इस्तेमाल छोटे व्यवसाय तथा व्यावसायिक प्रतिष्ठानों द्वारा किया जाता है. Mini Computers को Single User के लिए विकसित नही किया जाता है. इनको एक कम्पनी के द्वारा अपने एक विभाग विशेष मे किसी कार्य विशेष को करने में उपयोग लिया जाता है.
4. Mainframe Computer
एक Mainframe Computer ऊपर वर्णित सभी कम्प्युटर से अधिक तेज तथा क्षमतावान होता है. इनका इस्तेमाल सरकारी प्रतिष्ठानों, बड़ी-बड़ी कम्पनियों द्वारा आँकड़ों को संग्रहित करने के लिए किया जाता है. ये कम्प्युटर आकार में बहुत बडे होते है.
5. Super Computer
Super Computer मानव द्वारा निर्मित अब तक का सबसे तेज और शक्तिशाली कम्प्युटर है. ये कम्प्युटर आकार में बहुत विशाल एवं खर्चीले होते है. इनका उपयोग बड़े संगठनो द्वारा शोध कार्य, मौसम भविष्यवाणी, तकनीक आदि कार्यों में होता है. Summit Super Computer अब तक का सबसे तेज सुपर कम्प्युटर हैं. जिसे अमेरीका में बनाया गया था.
भारत ने अपना पहला सुपर कम्प्युटर PARAM – 8000 सन 1991 में बनाया था. परम कम्प्युटर को भारत सरका की एक संस्था C-DAC ने विकसित किया था. परम के बाद भारत में बहुत सारे सुपर कम्पुटर बन चुके हैं. और कईतो Top 500 Super Computers में भी शामिल हैं. भारत का सबसे तेज सुपर कम्प्युटर Pratyush and Mihir हैं.
आधुनिक कम्प्युटर (Modern Computers)
Smartphones
आजकल Cell Phones, जिन्हे आम भाषा में Mobile Phones कहा जाता हैं, भी Computer द्वारा होने वाले कई कार्यों को कर सकते हैं. आप Internet Browsing, Games, Documents, Calculation आदि काम मोबाईल फोन में कर सकते हैं. इन्हे आजकल Smartphones कहा जाता हैं.
Wearables
Wearable का मतलब होता हैं पहनने योग्य अर्थात ऐसे उपकरण जिन्हे शरीर के किसी अंग विशेष पर पहना जा सके खासकर हाथ में. ये उपकरण किसी कार्य विशेष के एक छोटे भाग को करने के लिए बनाये जाते हैं. Smartwatches, Fitness Trackers आदि Wearable Computer हैं.
Game Console
Game Console एक विशेष प्रकार का कम्प्युटर होता हैं. जिसका इस्तेमाल TV पर विडियों गेम खेलने के लिए किया जाता हैं. जैसे; Xbox, Play Stations आदि.
TVs
आजकल TV यानि Television को भी Computer की श्रेणी में रख सकते हैं. क्योंकि TV पर भी आप इंटरनेट, ऑनलाईन खरीदारी, Video Streaming आदि कार्य कर सकते है.
कम्प्युटर के उपयोग
Uses of Computer
Computer का दैनिक जीवन में उपयोग
आज के समय में कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो Computer से परिचित नही होगा. हमारे चारों तरफ Computers है. Computers आधुनिक जिदंगी का एक मुख्य हिस्सा है. इनके आविष्कार से लेकर अब तक ये छोटे और तेज होते गए है. Computer के बिना अब किसी काम की कल्पना भी नहीं कर सकते है.
हर कोई Computer का उपयोग अपने हिसाब से अलग-अलग कार्यों के लिए करता है. शिक्षक, लेखक तथा वैज्ञानिक शोध के लिए Computer का उपग्यो करते है. वहीं, इंजिनियर्स, डिजाईनर्स अपने डिजाईन बनाने के लिए Computer का use करते है. Computer के उपयोग से हमारे कार्यों में गति (Speed) एवं शुद्धता (Accuracy) आ जाती है.
वैसे तो अब Computers का उपयोग लगभग हर क्षेत्र में होने लगा है. लेकिन कुछ ऐसे क्षेत्र है जहाँ Computers का उपयोग अधिक होने लगा है. आइए जानते है कुछ ऐसे क्षेत्र जहाँ Computer का use मुख्य रूप से किया जाता है.
Computer का विभिन्न क्षेत्रों में महत्व
Computers At Home
Computers का घरों में use अब आम बात हो गई है. आज हर कोई इसे पाना चाहता है. Computers ने हमारे काम करने का तरीका बदल दिया है. जो कार्य पहले आठ व्यक्ति करते थे उसे Computer अकेला तेज और सही कर देता है. इसलिए लोग Computers का use अधिक करने लगे है. घरों में Computers का use बहुत कार्यों में किया जाता है. हम Computer के द्वारा हमारे घर का बजट तैयार कर सकते है. Computers पर हम गाने सुन सकते है, विडियो डाउनलोड कर सकते है, फिल्म देख सकते है. अपने दोस्तो से बाते कर सकते है. आप, अपने दूर के रिश्तेदारों, दोस्तों तथा मिलनेवालों को चिट्ठी भी लिख सकते है. हम Computer पर गेम भी खेल सकते है. इसके अलावा हम अपने दफ्तर का कार्य घर बैठे Computer से कर सकते है.
Computers In Business
Computers का use व्यापार क्षेत्र में बहुत अधिक होने लगा है. आज, कोई ऐसा दफ्तर होगा जिसमें Computers का use नही होता है. Computers का use होने से व्यापार करने का तरीका बिल्कुल बदल गया है. आज Computer के द्वारा आप कहीं से भी अपने व्यापार को सभांल सकते है. Computers का use होने से दफ्तर के कार्य तेजी से होने लगे है. आप अपने कर्मचारीयों का रिकॉर्ड, उत्पादन, बिक्री विवरण, स्टॉक आदि को Computer द्वारा बना तथा सभांल सकते है. इसलिए दफ्तरों में Computers का use किया जाता है.
Computers In Education
Computers In Education
Computers का use शिक्षा में होने से इस क्षेत्र में क्रांति सी आ गई है. हम घर बैठे ही Computer द्वारा पढ़ सकते है. सिर्फ एक क्लिक पर हजारों कॉलेज, युनिवर्सिटिज के कॉर्सेज की जानकारी पा सकते है, तथा प्रवेश भी ले सकते है. आजकल तो परीक्षाएं भी इसके द्वारा होने लगी है. लोगो को प्रशिक्षण भी Computers द्वारा दिया जाता है.
Computers In Science & Engineering
वैज्ञानिक तो Computer के सबसे पुराने दोस्त है. क्योंकि Computers का use विज्ञान तथा तकनीक के क्षेत्र में इसके आविष्कार से ही हो रहा है. इसलिए विज्ञान और तकनीक का क्षेत्र भी इससे अछूता नही है. वैज्ञानिक एक दूसरे से सूचनाए साझा करने के लिए Computers का use करते है. वे अपना शोध कार्य भी इसके माध्यम से पूरा कर लेते है. इंजिनियर्स अपने जटिल समीकरण, डिजाईन भी आसानी से Computer के द्वारा मिनटों में पूरा कर लेते है. मौसम की भविष्यवाणी, परिवहन का संचालन, अंतरिक्ष, भूगोल आदि क्षेत्रों में Computers का use अतुल्नीय है.
Computers In Medical
चिकित्सा तथा स्वास्थ्य क्षेत्र में Computers का use एक वरदान है. क्योंकि इसने चिकित्सकों को उम्मीद दी है कि वो अब लगभग किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्या का सामना कर सकते है. चिकित्सा क्षेत्र में Computers का use होने से मरीजों का रिकॉर्ड आसानी से बनाया तथा उसे एक क्लिक से पाया भी जा सकता है. मरीजों कि निगरानी कि जा सकती है. किसी बीमारी के निदान खोजने में भी Computers का use किया जाता है. मरीज के स्वास्थ्य की पल-पल निगरानी की जा सकती है. लगभग हर प्रकार कि जाँच Computerized मशीन द्वारा होने लगी है.
Computers In Defense
Computers का use रक्षा क्षेत्र में शुरुआत से ही होता रहा है. लेकिन, आज इसके मायने बिल्कुल बदल गए है. सिर्फ एक क्मांड द्वारा बडी-बडी मिसाईले, परमाणु हथियार, सैटेलाईट को नियंत्रित किया जा सकता है. नए-नए हथियारों के डिजाईन Computer द्वारा बनाए जाते है. सैनिकों, अपराधियों तथा हथियरों का रिकोर्ड बनाया जाता है.
Computers In Sports
Computers का use खेलों में होने से खेलों का संचालन तेजी से तथा निर्बाध रूप से किया जा सकता है. इसके द्वारा खिलाडियों के रिकॉर्ड, उनके एतिहासिक पल, स्कोरकार्ड आदि को बनाया जा सकता है. किसी भी खेल में निर्णय लेने में Computers का use होने से निर्णयों में सटीकता आती है.
Computers In Government
Computers के use से राज-काज भी अछूता नही है. आज, सभी प्रशासनिक कार्य Computer द्वारा होने लगे है.
दरअसल, ऐसा कोई क्षेत्र बचा ही नही जहाँ Computers का use नही होता है. इसलिए, आप जहाँ भी जाएगें वहां Computers का use होता पाएंगे. ऊपर वर्णित क्षेत्रों के अलावा हजारों ऐसे क्षेत्र है जहाँ Computers का use किया जाता है.
ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है
What is Operating System
इस Lesson में हम आपको Operating System की पूरी जानकारी देंगे. अध्ययन की सुविधा के लिए हमने इस Lesson को निम्न भागों में बांटा हैं.
Table of Content
- ऑपरेटिंग सिस्टम क्या हैं – What is Operating System.
- Operating System की आवश्यकता/कार्य
- ऑपरेटिंग के विभिन्न प्रकार – Types of Operating System.
- Operating System की विशेषताएँ
- प्रमुख ऑपरेटिंग सिस्टम के नाम
Operating System क्या होता है?
Operating System छोटे रूप मे इसे OS कहते है, एक ऐसा कम्प्युटर प्रोग्राम होता है, जो अन्य कम्प्युटर प्रोग्रामों का संचालन करता है. ऑपरेटिंग सिस्टम उपयोक्ता (Users) तथा कम्प्युटर के बीच मध्यस्थ का कार्य करता है. यह हमारे निर्देशो को कम्प्युटर को समझाता है. Operating System के द्वारा अन्य Software प्रोग्राम तथा Hardware का संचालन किया जाता है.
Operating System के बिना कम्प्युटर एक निर्जीव वस्तु होता है. क्योंकि ऑपरेटिंग सिस्टम बेजान हार्डवेयर को काम करने लायक बनाता है और हार्डवेयर के ऊपर अन्य सॉफ्टवेयर प्रोग्राम्स को भी चलने लायक सुविधा प्रदान करता हैं.
Operating System की
आवश्यकता/कार्य
Operating System संपूर्ण कम्प्युटर का नियंत्रण एवं संचालन करता है. इसी के द्वारा कम्प्युपुटर का प्रबंधन किया जाता है. Operating System उपयोगकर्ता को कम्प्युटर पर आसानी से कार्य करने कि योग्यता देता है. Operating System और कम्प्युटर के संबंधो को एक आरेख चित्र (Flow Chart) के माध्यम से समझा जा सकता है.
Operating System के कुछ प्रमुख कार्य नीचे है.
- Operating System कम्प्युटर को ठीक प्रकार से उपयोग करने लायक सरल बनाता है.
- Operating System उपयोगकर्ता से Hardware की भारी भरकम सूचनाओं को उपयोगकर्ता से छिपा लेता है, इसलिए उपयोगकर्ता का ढेर सारी सूचनाओं से सामना नही होता है.
- Operating System उपयोगकर्ता को एक सरल माध्यम उपलब्ध कराता है इसलिए वह कम्प्युटर पर आसानी से कार्य कर पाता है.
- Operating System उपयोगकर्ता एवं Hardware के बीच मध्यस्थ का कार्य करता है, ताकि उपयोगकर्ता कम्प्युटर और उसके संसाधनों का उपयोग सरलता से कर सके.
- कम्प्युटर और इसके संसाधनों का प्रबंधन करना Operating System का एक जरूरी कार्य है.
Operating System के विभिन्न प्रकार
Operating System हमेशा से ही कम्प्युटर के साथ रहे है. जैसे-जैसे कम्प्युटर ने विकास किया वैसे ही Operating System भी अपने आप को विकसित करते गए. Operating System को कई श्रेणीयों में बाँटा गया है. लेकिन, हम यहाँ Operating System के कुछ प्रमुख प्रकारों को जानेंगे.
1. Multi-user Operating System
यह Operating System एक से अधिक उपयोगकर्ताओं को एक साथ कार्य करने की सुविधा प्रदान करता है. इस Operating System पर एक समय में सैकड़ों उपयोगकर्ता अपना-अपना कार्य कर सकते है.
2. Single-user Operating System
इसके विपरीत Single-user Operating System एक समय में सिर्फ एक ही उपयोगकर्ता को कार्य करने देता है. इस Operating System पर एक समय में कई उपयोगकर्ता कार्य नही कर सकते है.
3. Multitasking Operating System
यह Operating System उपयोगकर्ता को एक साथ कई अलग-अलग प्रोग्राम्स को चलाने की सुविधा देता है. इस Operating System पर आप एक समय में E-mail भी लिख सकते है और साथ ही अपने मित्रों से Chat भी कर सकते है.
4. Multi Processing Operating System
यह Operating System एक प्रोग्राम को एक से अधिक CPU पर चलाने की सुविधा देता है.
5. Multi Threading Operating System
यह Operating System एक प्रोग्राम के विभिन्न भागों को एक साथ चलाने देता है.
6. Real Time Operating System
Real Time Operating System उपयोगकर्ता द्वारा दिए गए Input पर तुरंत प्रक्रिया करता है. Windows Operating System इसका सबसे अच्छा उदाहरण है.
Operating System कम्प्युटर के लिए बहुत ही आवश्यक प्रोग्राम है. इसके बिना कम्प्युटर एक निर्जीव वस्तु मात्र है, यह कहना गलत नही है. Operating System के बिना कम्प्युटर को उपयोग करना बहुत ही कठिन कार्य साबित हो सकता है. Operating System और कम्प्युटर के संबंधो को समझने के लिए ऊपर दिए गए आरेख को समझ सकते है.
ऑपरेटिंग सिस्टम की विशेषताएँ
- Primary Memory को Track करता है. जैसे, कहाँ इस्तेमाल हो रही है? कितनी मैमोरी इस्तेमाल हो रही है? और मांगने पर मैमोरी उपलब्ध करवाता है.
- Processor का ध्यान रखता है अर्थात Manage करता हैं.
- कम्प्युटर से जुडे हुए सभी डिवाईसों को मैंनेज करता हैं.
- कमप्युटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों को मैंनेज करता हैं.
- पासवर्ड तथा अन्य तकनीकों के माध्यम से सुरक्षा प्रदान करता हैं.
- कम्प्युटर द्वारा किये जाने वाले कार्यों का ध्यान रखता है और उनका रिकॉर्ड रखता हैं.
- Errors और खतरों से अवगत कराता हैं.
- User और Computer Programs के बीच समन्वय बनाता हैं.
प्रमुख ऑपरेटिंग सिस्टम के नाम
- Windows OS
- Mac OS
- Linux OS
- Ubuntu
- Android OS
- iOS
- MS-DOS
- Symbian OS
कम्प्युटर के मुख्य उपकरण
Main Parts of Computer
यदि आप Computer से थोडा भी परिचित है तो आप जानते होंगे कि Computer कोई अकेला Part या Device नही है. बल्कि, Computer वह System है, जिसमें विभिन्न उपकरण (Parts) सामुहिक रूप से साथ मिलकर कार्य करते है.
Computer के वे Parts, जिन्हें देख तथा छू सकते है, Hardware कहलाते है. और दूसरी तरफ Computer के वे भाग, जिन्हें देख तथा छू नही सकते है और ये वे निर्देश या प्रोग्राम होते है जो हार्डवेयर को बताते है कि क्या करना है, वे Software कहलाते है.
Computer के parts को कई श्रेणीयों में बाँटा गया है.
- Computer Case
- Input Devices
- Output Devices
- Storage Devices
1.Computer Case
Computer Parts मे Computer Case का अपना स्थान है. यह एक प्रकार का कंटेनर होता है, जिसमें कम्प्युटर के अनेक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लगे होते है, जो कम्प्युटर को बनाते है. सभी कम्प्युटरों में System Unit होता है. इसका आकर एक छोटे बक्से के समान होता है. इसमें मुख्यत: निम्न इलेक्ट्रोनिक उपकरण लगे होते है.
- Motherboard
- CPU
- Memory
- Power Supply Unit
2.Input Devices
Computer Parts के जिन उपकरणों की मदद से हम कम्प्युटर को निर्देश या आँकडे पहुँचाते है, वे उपकरण Input Devices है. ये कई प्रकार के होते है.
- Mouse
- Keyboard
- Scanner
- Joy Stick
- Touch Screen
- Webcam
- Digital Camera
3.Output Devices
Input Devices की मदद से कम्प्युटर को जो निर्देश या आँकडे पहुँचाए जाते है, कम्प्युटर उन निर्देशों पर प्रोसेसिंग कर उपयोगकर्ता द्वारा वांछित परिणाम देता है. यह परिणाम Computer Parts के जिन उपकरणों द्वारा उपयोगकर्ता द्वारा देखा, सुना या पढ़ा जाता है. वे उपकरण Output Devices है. ये कई प्रकार के होते है
- Monitor
- Speaker
- Printer
4.Storage Devices
Computer Parts में Storage Devices को आम भाषा में Memory के नाम से जाना जाता है. Computer Parts के ये उपकरण हमारे निर्देशों, आँकडों तथा सूचनाओ को लम्बे समय तक स्टोर करने का कार्य करते है. Storage Device के मुख्यत: निम्न प्रकार है.
- Hard Disk Drive
- Floppy Disk Drive
- CD or DVD Drive
Computer Motherboard & Cabinet
की पूरी जानकारी
मदरबोर्ड क्या होता है- What is Motherboard
मदरबोर्ड एक Printed Circuit Board (PCB) होता है. जिसे Logical Board, System Board, Printed Wired Board (PWB), और Mainboard (Mobo) के नाम से भी जाना जाता है.
मदरबोर्ड कम्प्युटर का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है. जिसमे सभी आवश्यक उपकरण जुडे रहते हैं. इनमें CPU, RAM, HDD, Monitor, BIOS, CMOS, Mouse, Keyboard आदि उपकरण शामिल है जो Dedicated Ports के माध्यम से जुडे रहते हैं. मदरबोर्ड इन उपकरणों को Power Supply पहुँचाता है और आपस में Communication करवाता हैं.
मदरबोर्ड एक प्लास्टिक शीट होती हैं जिसमे उपकरणॉं को जोडने के लिए विभिन्न Ports बनाये जाते है. प्रत्येक पोर्ट का Connection मदरबोर्ड में Solder किया हुआ रहता हैं. जिसे हम अपनी आंखों से भी देख सकते हैं.
मदरबोर्ड के विभिन्न प्रकार – Motherboard Types
मदरबोर्ड बहुत सारी विशेषताओं और क्षमताओं मे उपलब्ध हैं. और ये क्षमता और विशेषता मदरबोर्ड निर्माताओं के ऊपर निर्भर करती हैं. इसलिये मदरबोर्ड का कोई खास प्रकार उपलब्ध नही हैं. मगर इनकी बनावट के आधार पर इन्हे दो भागों में बांटा जा सकता है.
- Integrated Motherboard
- Non-Integrated Motherboard
1. Integrated Motherboard
जिन मदरबोर्ड में कम्प्युटर के विभिन्न उपकरणों को जोडने के लिए अलग से Ports बनाये जाते हैं उन्हे Integrated Motherboard कहते हैं. आजकल यही मदरबोर्ड PCs, Laptops आदि में इस्तेमाल किये जाते हैं. इन मदरबोर्ड के माध्यम से आप अपने कम्प्युटर के किसी पार्ट को आसानी से Upgrade भी कर सकते है.
2. Non-Integrated Motherboard
जिन मदरबोर्ड में आवश्यक उपकरणॉं को जोडने के लिए Ports नही होते हैं उन्हे Non-Integrated Motherboard कहा जाता हैं. इन मदरबोर्ड में CPU, RAM आदि को Solder किया जाता हैं. और इन्हे बाद में Upgrade भी नही किया जा सकता हैं. Smartphones, Tables आदि में इसी प्रकार के मदरबोर्ड का इस्तेमाल होता हैं.
मदरबोर्ड के कार्य – Functions of Motherboard
- मदरबोर्ड सहायक उपकरणों को जोडने के लिए जगह उपलब्ध करवाता है. इसलिये इसे कम्प्युटर की Backbone भी कहा जाता हैं.
- यह Connected Devices को Power Supply पहुँचाता है और उन्हे Manage भी करता हैं.
- एक उपकरण की दूसरे उपकरण के साथ बातचीत यानि Communication करवाता हैं.
- Computer की BIOS Settings और सूचना को सुरक्षित रखता है ताकि कम्प्युटर आसानी से चालु हो सके.
मदरबोर्ड के विभिन्न भाग मदरबोर्ड पोर्ट्स
मदरबोर्ड एक Base या Components’ Hub की तरह कार्य करता हैं. जिससे सभी और आवश्यक कम्प्युटर उपकरण जुडे रहते हैं. प्रत्येक उपकरण एक Dedicated Place पर Connect होता हैं. इस Place या जगह को Port कहा जाता हैं.
मदरबोर्ड में विभिन्न प्रकार के Ports होते हैं. जिनमें कम्प्युटर के अलग-अलग उपकरणों को जोडा जा सकता हैं. Motherboard Ports की पूरी जानकारी नीचे दी जा रही हैं.
Serial Port
Serial Ports का उपयोग अतिरिक्त मॉडेम और पुराने माउसों को जोडने के लिया किया जाता हैं. ये Ports 9 Pin और 25 Pin इन दो मॉडल में आते हैं.
Parallel Port
इन Ports में Scanners & Printers को कनेक्ट किया जाता है. यह Ports 25 Pin में होते हैं. इन्हे Printer Port भी कहा जाता हैं.
PS/2 Port
इन Ports का आकार गोल होता हैं. इनके द्वारा माउस और की-बोर्ड को जोडा जाता हैं. आजकल इन पोर्ट का इस्तेमाल बहुत कम किया जाता हैं.
USB Ports
USB का पूरा नाम Universal Serial Bus होता हैं. USB Ports के द्वारा सभी प्रकार के USB Devices जैसे माउस, की-बोर्ड, प्रिंटर, हार्ड डिस्क आदि को कनेक्ट किया जा सकता है. USB Ports को सन 1991 में इजात किया गया था. और इनकी डाटा ट्रांसफर करने की क्षमता बहुत तेज और ज्यादा होती हैं.
VGA Port
Computer Monitor को जोडने के लिये किया जाता हैं. इसकी बनावत Serial Port के जैसी ही होती हैं.
Power Connector
Motherboard को Power से जोडने के लिए Power Connector का इस्तेमाल किया जाता हैं. पॉवर सीधे मदरबोर्ड में नही जाती हैं. यह पहले SMPS में जाती हैं इसके बाद मदरबोर्ड में पहुँचती हैं.
Modem Port
Computer को इंटरनेट केबल से जोडने के लिए Modem Port को इस्तेमाल किया जाता हैं. इसकी बनावट कुछ-कुछ USB Port के समान होती हैं.
External Ports
एक कम्प्युटर को दूसरे कम्प्युटर से जोडने के लिये इन Ports का इस्तेमाल किया जाता हैं. इनमे Network Cable को जोडा जाता हैं.
Game Port
Game Consoles और Joystics को जोडने के लिए गेम पोर्ट का इस्तेमाल किया जाता हैं. मगर, आजकल इनकी जगह USB Ports का इस्तेमाल होने लगा है.
DVI Port
DVI का पूरा नाम Digital Video Interface होता हैं. DVI Port का उपयोग Flat Panel Monitors यानि LCD, LED को कम्प्युटर से जोडने के लिए किया जाता है.
Sockets
Speakers और Microphones को कम्प्युटर से कनेक्ट करने के लिए Sockets का इस्तेमाल किया जाता है. ये गोल और छोटे होते हैं.
प्रमुख मदरबोर्ड निर्माताओं का नाम
- Intel
- ASUS
- Gigabyte
- AMD
- Acer
- MSI
- ABIT
- AOpen
- Biostar
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Cabinet क्या होता है- What is Cabinet
Computer के कुछ नाजुक और महत्वपूर्ण पार्ट्स एक बॉक्स में बंद रहते है. यह बॉक्स लौह या प्लास्टिक का बना होता है. इस बॉक्स को ही Computer Case या Cabinet कहा जाता है.
Cabinet को जानकारी के अभाव में लोग CPU कहते हैं. मगर यह सच नही हैं. CPU इसके अंदर मदरबोर्ड में लगी हुई Microprocessor Chip होती है. इसलिए इस नासमझी से बचे.
Cabinet के बाहर की तरफ कुछ Buttons and Connecting Ports होते है. जिनकी सहायता से अन्य सहायक उपकरणों को कम्प्युटर से जोडा जाता है. कम्प्युटर के सभी महत्वपूर्ण पार्ट इसके अंदर लगे होते है. जिनकी जानकारी नीचे दी जा रही है.
Computer Cabinet के अंदर
मौजूद उपकरणों के नाम
1. Motherboard
Motherboard Computer का Main Circuit Board होता है. जिसमें CPU, Hard Disk, USB Devices, Power Units आदि उपकरण प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप में जुडे रहते है. इसी के द्वारा कम्प्युटर से संबंधित सभी उपकरणों को जोडा जाता है. और इन्हे Manage भी किया जाता है.
2. CPU
CPU का पूरा नाम Central Processing Unit होता है. इसे कम्प्युटर का दिमाग कहते है. क्योंकि सभी Logical and Mathematical Process इसी के द्वारा की जाती है. सभी निर्देशों को भी CPU द्वारा ही हल किया जाता है. इसकी कार्य करने की गती बहुत तेज होती है. CPU की कार्यक्षमता जो MHz, GHz में मापा जाता है.
CPU लगभग दो इंच का वर्गाकार प्लेट होती है. जिसके अंदर Silicon Chip होती है. यह चिप हमारे हाथ के अगुंठे के बराबर होती है. CPU मदरबोर्ड में CPU Socket में लगा रहता है. जो Heat Sink से ढका रहता है. जिसके ऊपर एक Cooling Fan लगा रहता है. इसे आप आसानी से पहचान सकते है.
3. RAM
RAM का पूरा नाम Random Access Memory होती है. RAM कम्प्युटर की मेमोरी होती है. जिसमे कम्प्युटर डाटा स्टोर करता है. इसके बिना कम्प्युटर अपना काम नही कर सकता है. यह कम्प्युटर की मुख्य मेमोरी होती है. जिसमें कम्प्युटर वर्तमान में किये जाने वाले कार्यों के डाटा को स्टोर करके रखता है.
RAM एक अस्थायी मेमोरी होती है. जिसमें डाटा कुछ समय के लिए ही स्टोर रहता है. जब कोई टास्क खत्म हो जाती है या फिर Power Supply बंद हो जाती है. तो इसमे स्टोर डाटा स्वत: डिलिट हो जाता है.
4. Hard Disk Drive
Hard Disk Drive एक Secondary Storage Device होती है. जिसमे हम गाने, विडियों, फोटो, फाईल आदि डाटा हमेशा के लिए स्टोर कर सकते है. इस डिवाईस में स्टोर डाटा हमेशा के लिए स्टोर रहता है. और Power Supply बंद होने के बाद भी डिलिट नही होता है.
5. Power Supply Unit
Power Supply Unit को SMPS के नाम से जाना जाता है. जिसके द्वारा कैबिनेट में मौजूद सभी उपकरणॉं को बिजली पहुँचाई जाती है. इसका मुख्य काम बाहर से आने वाली बिजली को कम्प्युटर की जरूरत के अनुसार बदलकर मदरबोर्ड तक पहुँचाना होता है. जहाँ से बिजली अन्य उपकरणॉं को पहुँचाई जाती है.
ध्यान दें: जब भी आप Computer Cabinet को खोलना चाहे तो सबसे पहले Power Plug को हटा ले. तभी इसके अंदर मौजूद उपकरणॉं को छुँए. ताकि आप और आपका कम्प्युटर सुरक्षित रहे.
6. Cooling Fan
Cooling Fan का काम CPU को अधिक गर्मी से बचाना होता है. यह Heat Sink के ऊपर लगा रहता है. जिसे आप आसानी से पहचान सकते है.
7. Expansions Cards
विभिन्न मदरबोर्ड में Expansions Slots होते है. जिनमे Expansions Cards को लगाया जाता है. वैसे आजकल तो हमे इनकी जरूरत नही पडती हैं. क्योंकि Video Cards, Sound Cards, Graphics Cards आदि Built in आते है.
अगर आप अपने कम्प्युटर की Performance से संतुष्ट नही है. और इसे बढाना चाहते है तो आप Expansions Slots में विभिन्न प्रकार के Expansions Cards लगाकर अपने कम्प्युटर की कर्यक्षमता को बढा सकते है.
कम्प्युटर की कार्यप्रणाली और पिढियाँ
Operations and Generations of Computer
कम्प्युटर एक जटिल मशीन हैं जो विभिन्न उपकरणों और निर्देशों से मिलकर बना होता हैं. मगर जितनी जटिल कम्प्युटर की संरचना होती हैं उतनी ही सरल कम्प्युटर की कार्यप्रणाली होती हैं.
कम्प्युटर की कार्यप्रणाली
Operations of Computer
सभी प्रकार के कम्प्युटर एक खास कार्यप्रणाली से अपना काम पूरा करते हैं और इनका कार्य करने का तरीका सभी कम्प्युटरों में एक समान ही रहता हैं. कम्प्युटर किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए तीन आधारभूत कार्य करता हैं.
- Input
- Process
- Output
Computer कोई भी कार्य अपने आप नही कर सकता हैं. वह पहले User से Input लेता हैं. उसके बाद Input के आधार पर अगला कदम बढाता हैं. अब सोच रहे होंगे कि Input क्या होता हैं?
Input देना
Input, किसी कार्य से संबंधित निर्देश या डाटा होता हैं. जिसे Input Devices जैसे Keyboard, Mouse, Scanner, Light Pen आदि द्वारा Input किया जाता हैं.
Data Process करना
Input लेने के बाद कम्प्युटर Input Data को Computer Memory में Store करता हैं. इसके बाद User द्वारा दिए निर्देशों का पालन करता हैं. इस कार्य को कम्प्युटर बहुत तेज गती से करता हैं.
Processing के दौरान कम्प्युटर Input Data की जाँच करता हैं, दिए गए निर्देशों का पालन करता हैं और उसे सूचना में परिवर्तित करता हैं. जिसे परिणाम कहा जाता हैं.
Output देना
Data को Process करने के बाद Computer Result देता हैं. इस परिणाम को ही Output कहा जाता हैं. Computer Results को दिखाने के लिए Output Devices का सहारा लेता हैं.
Output Devices में सबसे प्रमुख Monitor या Display होती हैं. जिसके ऊपर Output Show होता हैं. इनके अलावा Printers, Speaker भी अन्य प्रमुख Output Devices हैं.
कम्प्युटर की पिढियाँ
Generations of Computer
Computer अपने जन्म से लेकर आज तक विकास कर रहा हैं. इस दौरान कम्प्युटर वैक्यूम ट्यूब (Vacuum Tube) से निकलर Artificial Intelligence तक आ पहुँचा हैं. और वह कमरे को छोडकर हाथ में आ बैठा हैं. यह उन्नति उसने पिछले 70-80 सालों में पाई हैं.
कम्प्युटर की इस विकास अवधि को Computer Generations (in Hindi) कहा जाता हैं. जैसे-जैसे कम्प्युटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर में बदलाव आता गया. उसी के अनुसार Computer Generations का निर्धारण कर दिया गया. अब तक कम्प्युटर की 5 पीढियाँ – 5 Generations of Computer निर्धारित की जा चुकी हैं.
कम्प्युटर की प्रथम पीढि –
First Generations of Computer
कम्प्युटर कि प्रथम पीढि की शुरुआत सन 1946 से मानी गई हैं. क्योंकि इस समय दो महान लोग J.P. Eckert तथा J.W. Mauchy नें वैक्यूम ट्यूब पर आधारित पहला इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बनाया था. Vacuum Tube का आविष्कार सन 1904 में John Ambrose Fleming ने किया था. प्रथम पीढि के कम्प्युटरों में इसी वैक्यूम ट्यूब का इस्तेमाल किया गया था.
Punch Cards, Paper Tap तथा Magnetic Tap को इनपुट डिवाइस एवं आउटपुट डिवाइस के रूप में इस्तेमाल किया जाता था. प्रथम पीढि कम्प्युटरों में मशीनी भाषा (Machine Language) का इस्तेमाल प्रोग्रामिंग भाषा (Programming Language) के रूप में होता था. और Magnetic Drums का उपयोग Memory के लिए किया जाता था.
प्रथम पीढि कम्प्युटर की विशेषताएं
- वैक्यूम ट्यूब पर आधारित
- भंडारण के लिए मैग्नेटिक ड्रम्स का इस्तेमाल
- पंच कार्डों इनपुट एवं आउटपुट के लिए प्रयोग
- आकार बहुत बडा और वजनी
- मशीनी भाषा का प्रयोग
- AC की जरूरत
- बहुत महेंगे और विश्वसनीय नहीं
- लगातार रखरखाव की जरूरत
प्रथम पीढि के कुछ कम्प्युटरों के नाम
- ENIAC – Electronic Numeric Integrated and Calculator
- EDVAC
- UNIVAC
- IBM-701
- IBM-650
कम्प्युटर की दूसरी पीढि –
Second Generations of Computer
कम्प्युटर की द्वितीय पीढि की समयावधि 1956-63 मानी गई हैं. इस पीढि के कम्प्युटरों में वैक्यूम ट्यूब के स्थान पर ट्रांजिस्टर (Transistor) का प्रयोग हुआ. Transistor का आविष्कार सन 1947 में William Shockely ने किया था.
अब कम्प्युटरों में Primary एवं Secondary Memory का इस्तेमाल होने लगा. और वे Assembly एवं High-Level Programming Language को सपोर्ट करने लगे. तथा उनमे Multi-Programming Operating Systems का प्रयोग होने लगा था.
दूसरी पीढि के कम्प्युटर की विशेषताएँ
- Transistor पर आधारित
- मैमोरी के लिए Magnetic Core और Tap का इस्तेमाल
- FORTON, COBOL भाषाओं का इस्तेमाल
- आकार अभी भी बडा और वजनी
- Cooling के लिए AC की जरूरत
- कार्य-विशेष के लिए उपयोग
- Processing Speed में बढोतरी
- प्रथम पीढि के मुकाबले कम ऊर्जा की जरूरत
दूसरी पीढि के कुछ कम्प्युटरों के नाम
- Honeywell 400
- IBM 7094
- CDC 1604
- CDC 3000 Series
- UNIVAC 1108
- IBM 1400 Series
- MARK III
कम्प्युटर की तीसरी पीढि
Fourth Generations of Computer
कम्प्युटरों की तीसरी पीढि की समयावधि 1964-71 मानी गई हैं. इस पीढि के कम्प्युटर IC – Integrated Circuit पर आधारित थे. IC का आविष्कार एक इंजिनियर Jack Kilby ने किया था. एक अकेली IC में बहुत सारे Transistors, Resistors, Capacitors समाहित थे. IC के आविष्कार ने कम्प्युटरों का आकार बहुत छोटा कर दिया. अब इन्हे एक जगह से दूसरी जगह पर आराम से पहुँचा सकते थे. और Multi-Programming OS एवं High-Level Programming Languages के इस्तेमाल में और सुधार हुआ.
तीसरी पीढि के कम्प्युटर की विशेषताएँ
- IC पर आधारित
- आकार में छोटे और कम वजनी
- अधिक भरोसेमंद और खर्चीले
- रखरखाव में कमी
- BASIC, COBOL, FORTON, PASCAL, ALGOL का इस्तेमाल
- ऊर्जा की कम खपत पर AC की जरूरत
- Mouse और Keyboard का इस्तेमाल
- प्रोसेसिंग़ अन्य पीढियों के मुकाबले तेज
- General Purpose के लिए इस्तेमाल संभव हुआ
- कार्यक्षमाता में बढोतरी
तीसरी पीढी के कुछ कम्प्युटरों के नाम
- PDP-8
- PDP-11
- ICL 2900
- IBM 360 Series
- Honeywell 6000 Series
- TDC-B16
कम्प्युटर की चौथी पीढि
Fourth Generations of Computer
कम्प्युटर की चौथी पीढि की शुरुआत 1971 से मानी गई हैं. और 1980 तक का समय चौथी पीढि के लिए माना गया हैं. इस दौरान IC को और अधिक विकसित किया गया इस समय की ICs में लगभग 5000 Transistors आ सकते थे. और इसकी कार्यक्षमाता 3,00,00 ट्राजिस्ट्रों के बराबर थी.
इन ICs को VLSI – Very Large Scale Integrated Circuit कहा जाता था. इस तकनीक ने Microcomputer की नींव पढी क्योंकि इस समय Micro Processors इस्तेमाल होने लगे थे. यह समय कम्प्युटर क्रांति लेकर आया और कम्प्युटर आम इंसान तक पहुँचा.
चौथी पीढि के कम्प्युटर Microprocessor पर चलते है. और इस समय GUI- Graphical User Interface का विकास हुआ. और Windows, Mac OS का निर्माण हुआ. इसी समय में Microsoft और Apple जैसी कंपनियों की शुरुआत हुई. और आज ये वर्तमान हैं.
चौथी पीढी के कम्प्युटर की विशेषताएँ
- VLSI Based Microprocessors पर आधारित
- GUI Based OS का इस्तेमाल
- अधिक तेज, भरोसेमंद और शुद्ध
- आकार में बहुत छोटे और हल्के
- इंटरनेट का इस्तेमाल
- आम इंसान तक पहुँच
- AC की जरूरत नही Fan का इस्तेमाल
- C, C++, .net जैसी भाषाओं का इस्तेमाल
- कम खर्चीले
चौथी पीढि के कुछ कम्प्युटरों के नाम
- IBM 4341
- DEC 10
- STAR 1000
- PUP 11
- Macintosh
- PCs
कम्प्युटर की पांचवी पीढि
Fifth Generations of Computer
आप जिस डिवाइस पर इस Lesson को पढ रहे हैं. वह पांचवी पीढि का कम्प्युटर हैं. पांचवी पीढि की समयावधि 1980 से आजतक मानी गई हैं. इस कालखंड में कम्प्युटरों में ULSI – Ultra Large Scale Integrated Circuit Based Microprocessors का इस्तेमाल होने लगा. जिससे ये बहुत तेज और छोटे हो गए है. क्योंकि एक ULSI Based Microprocessor में एक करोड इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेट आ सकते हैं.
पांचवी पीढि के कम्प्युटरों को हम इंसानों की तरह सोचने लायक बनाया जा रहा हैं. जिसके लिए Artificial Intelligence, Internet of Things, Robotics आदि तकनीकों का लगातार विकास और प्रयोग किया जा रहा हैं.
आज के कम्प्युटर एक हाथ घडी के आकार का होता हैं और कम खर्चीला भी हैं. जिसे लगभग हर इंसान खरीद सकता हैं. आज कम्प्युटर दुनिया के हर इंसान तक किसी ने किसी रूप में पहुँच चुका हैं.
पांचवी पीढि के कम्प्युटर की विशेषताएँ
- ULSI Based Microprocessor पर आधारित
- हल्के, सस्ते, भरोसेमंद और तेज
- अधिक शुद्ध, इस्तेमाल में आसान
- GUI आधारित OS का इस्तेमाल
- Multimedia, Touchscreen, Web, Voice Control का प्रयोग
- ना के बराबर रखरखाव
- ऊर्जा का कम इस्तेमाल
- C, C++, Java, .net, ASP का इस्तेमाल
- कृत्रिम बुद्धि का विकास
- Internet of Things का विकास
पांचवी पीढि के कुछ कम्प्युटरों के नाम
- Desktop PCs
- Macbooks
- Laptops
- Notebooks
- Ultrabooks
- Chromebooks
- iPhone
सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर क्या होता हैं
What is Software and Hardware
सॉफ्टवेयर, निर्देशों तथा प्रोग्राम्स का वह समूह है जो कम्प्युटर को किसी कार्य विशेष को पूरा करने का निर्देश देता हैं. यह युजर को कम्प्युटर पर काम करने की क्षमता प्रदान करता हैं. सॉफ्टवेयर के बिना कम्प्युटर एक निर्जीव हैं.
Software को आप अपनी आंखों से नही देख सकते हैं. और ना ही इसे हाथ से छूआ जा सकता हैं. क्योंकि इसका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं होता हैं. यह एक आभासी वस्तु हैं जिसे केवल समझा जा सकता हैं.
यदि आपके कम्प्युटर में सॉफ्टवेयर नहीं होगा तो आपका कम्प्युटर मृत प्राणी के समान होगा. जो केवल लौह और अन्य धातुओं से बना एक बक्सा मात्र रह जाएगा.
यदि आपके Computer में Browsers नही होता तो आप इस Lesson को नही पढ़ सकते थे. इसके अलावा MS Office, Photoshop, Adobe Reader, Picasa सभी Software है, जो आपको Computer पर अलग-अलग कार्य करने के योग्य बनाते है.
सॉफ्टवेयर आपके कम्प्युटर में जाना फूँकता हैं. उसे काम करने के योग्य बनाता हैं. और सॉफ्टवेयर की मदद से ही आप कम्प्युटर से अपना मन पसंद कार्य करवा पाते हैं.
सॉफ्टवेयर, निर्देशों तथा प्रोग्राम्स का वह समूह है जो कम्प्युटर को किसी कार्य विशेष को पूरा करने का निर्देश देता हैं. यह युजर को कम्प्युटर पर काम करने की क्षमता प्रदान करता हैं. सॉफ्टवेयर के बिना कम्प्युटर एक निर्जीव हैं.
Software को आप अपनी आंखों से नही देख सकते हैं. और ना ही इसे हाथ से छूआ जा सकता हैं. क्योंकि इसका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं होता हैं. यह एक आभासी वस्तु हैं जिसे केवल समझा जा सकता हैं.
यदि आपके कम्प्युटर में सॉफ्टवेयर नहीं होगा तो आपका कम्प्युटर मृत प्राणी के समान होगा. जो केवल लौह और अन्य धातुओं से बना एक बक्सा मात्र रह जाएगा.
यदि आपके Computer में Browsers नही होता तो आप इस Lesson को नही पढ़ सकते थे. इसके अलावा MS Office, Photoshop, Adobe Reader, Picasa सभी Software है, जो आपको Computer पर अलग-अलग कार्य करने के योग्य बनाते है.
सॉफ्टवेयर आपके कम्प्युटर में जाना फूँकता हैं. उसे काम करने के योग्य बनाता हैं. और सॉफ्टवेयर की मदद से ही आप कम्प्युटर से अपना मन पसंद कार्य करवा पाते हैं.
सॉफ्टवेयर के विभिन्न प्रकार
Types of Software
हम कम्प्युटर का उपयोग विभिन्न कामों के लिए के लिए करते हैं. और ये सभी प्रकार के काम केवल एक सॉफ्टवेयर की मदद से पूरे नही किये जा सकते हैं.
इसलिए काम की जरुरत के हिसाब से अलग-अलग सॉफ्टवेयर बनाये जाते हैं. अध्ययन की सुविधा के लिए सॉफ्टवेयर के दो मुख्य वर्ग बनाए हैं.
- System Software
- Application Software
हम कम्प्युटर का उपयोग विभिन्न कामों के लिए के लिए करते हैं. और ये सभी प्रकार के काम केवल एक सॉफ्टवेयर की मदद से पूरे नही किये जा सकते हैं.
इसलिए काम की जरुरत के हिसाब से अलग-अलग सॉफ्टवेयर बनाये जाते हैं. अध्ययन की सुविधा के लिए सॉफ्टवेयर के दो मुख्य वर्ग बनाए हैं.
- System Software
- Application Software
1. System Software
System Software वह Software है जो Hardware का प्रबंध एवं नियत्रंण करता है और Hardware एवं Software के बीच क्रिया करने देता है. System Software के कई प्रकार है.
System Software वह Software है जो Hardware का प्रबंध एवं नियत्रंण करता है और Hardware एवं Software के बीच क्रिया करने देता है. System Software के कई प्रकार है.
1.1 Operating System
Operating System एक ऐसा कम्प्युटर प्रोग्राम होता है जो अन्य कम्प्युटर प्रोग्रामों का संचालन करता है. Operating System उपयोक्ता तथा कम्प्युटर के बीच मध्यस्थ का कार्य करता है. यह हमारे निर्देशो को कम्प्युटर को समझाता है.
- Windows
- Mac OS
- Linux
- Android
Operating System एक ऐसा कम्प्युटर प्रोग्राम होता है जो अन्य कम्प्युटर प्रोग्रामों का संचालन करता है. Operating System उपयोक्ता तथा कम्प्युटर के बीच मध्यस्थ का कार्य करता है. यह हमारे निर्देशो को कम्प्युटर को समझाता है.
- Windows
- Mac OS
- Linux
- Android
1.2 Utilities
Utilities को सर्विस प्रोग्राम के नाम से भी जाना जाता है. यह कम्प्युटर संसाधनों के प्रबंधन तथा सुरक्षा का कार्य करते है. लेकिन, इनका Hardware से सीधा संम्पर्क नही होता है. जैसे, Disk Defragmenter, Anti Virus प्रोग्राम आदि Utility प्रोग्राम है.
Utilities को सर्विस प्रोग्राम के नाम से भी जाना जाता है. यह कम्प्युटर संसाधनों के प्रबंधन तथा सुरक्षा का कार्य करते है. लेकिन, इनका Hardware से सीधा संम्पर्क नही होता है. जैसे, Disk Defragmenter, Anti Virus प्रोग्राम आदि Utility प्रोग्राम है.
1.3 Device Drivers
Driver एक विशेष प्रोग्राम होता है जो इनपुट और आउटपुट उपकरणों को कम्प्युटर से जोड़ता है ताकि ये कम्प्युटर से संचार कर सके. जैसे, Audio Drivers, Graphic Drivers, Motherboard Drives आदि.
Driver एक विशेष प्रोग्राम होता है जो इनपुट और आउटपुट उपकरणों को कम्प्युटर से जोड़ता है ताकि ये कम्प्युटर से संचार कर सके. जैसे, Audio Drivers, Graphic Drivers, Motherboard Drives आदि.
2. Application Software
Application Software को End User सॉफ़्टवेयर कहा जा सकता है, क्योंकि इसका सीधा संबंध उपयोक्ता से होता है. इसे ‘Apps’ भी कहते है. Application Software उपयोक्ता को किसी विशेष कार्य को करने कि आजादी देते है. इनके कई प्रकार है.
Application Software को End User सॉफ़्टवेयर कहा जा सकता है, क्योंकि इसका सीधा संबंध उपयोक्ता से होता है. इसे ‘Apps’ भी कहते है. Application Software उपयोक्ता को किसी विशेष कार्य को करने कि आजादी देते है. इनके कई प्रकार है.
2.1 Basic Application
Basic Applications को सामान्य उद्देशीय सॉफ़्टवेयर (General Purpose Software) भी कहा जाता है. यह सामान्य इस्तेमाल के सॉफ़्टवेयर होते है. इनका उपयोग हम रोजमर्रा के कार्यों के लिए करते है.
किसी भी क्म्प्युटर उपयोक्ता को कम्प्युटर पर कार्य करने के लिए Basic Application का इस्तेमाल तो आना ही चाहिए. नीचे कुछ General Purpose Software के नाम दिए जा रहे हैं.
- Word Processing Programs
- Multimedia Programs
- DTP Programs
- Spreadsheet Programs
- Presentation Programs
- Graphics Application
- Web Design Application
Basic Applications को सामान्य उद्देशीय सॉफ़्टवेयर (General Purpose Software) भी कहा जाता है. यह सामान्य इस्तेमाल के सॉफ़्टवेयर होते है. इनका उपयोग हम रोजमर्रा के कार्यों के लिए करते है.
किसी भी क्म्प्युटर उपयोक्ता को कम्प्युटर पर कार्य करने के लिए Basic Application का इस्तेमाल तो आना ही चाहिए. नीचे कुछ General Purpose Software के नाम दिए जा रहे हैं.
- Word Processing Programs
- Multimedia Programs
- DTP Programs
- Spreadsheet Programs
- Presentation Programs
- Graphics Application
- Web Design Application
2.2 Specialized Application
Specialized Application को विशेष उद्देशीय सॉफ़्टवेयर (Special Purpose Software) भी कहा जाता हैं. इन सॉफ़्टवेयर को किसी खास उद्देश्य के लिए बनाया जाता है. इनका इस्तेमाल भी किसी कार्य विशेष को करने के लिए होता है. नीचे कुछ विशेष उद्देश्य के लिए बनाये गए प्रोग्राम्स के नाम दिए जा रहे हैं.
- Accounting Software
- Billing Software
- Report Card Generator
- Reservation System
- Payroll Management System
Specialized Application को विशेष उद्देशीय सॉफ़्टवेयर (Special Purpose Software) भी कहा जाता हैं. इन सॉफ़्टवेयर को किसी खास उद्देश्य के लिए बनाया जाता है. इनका इस्तेमाल भी किसी कार्य विशेष को करने के लिए होता है. नीचे कुछ विशेष उद्देश्य के लिए बनाये गए प्रोग्राम्स के नाम दिए जा रहे हैं.
- Accounting Software
- Billing Software
- Report Card Generator
- Reservation System
- Payroll Management System
हार्डवेयर क्या होता हैं
What is Hardware
कम्प्युटर के वे भाग जिन्हे हम देख तथा छू सकते है उन्हे हार्डवेयर कहते हैं. यह कम्प्युटर के भौतिक भाग होते है. जिनसे मिलकर हमारे कम्प्युटर का शरीर बनता हैं.
सॉफ्टवेयर इन हार्डवेयर में जान डालता हैं. और उसे कार्य करने लायक बनाता हैं. तब जाकर हमे एक जीवित तथा काम करने योग्य कम्प्यूटर मशीन प्राप्त होती हैं.
कम्प्युटर हार्डवेयर का सबसे अच्छा उदाहरण है Monitor. यानि जिस डिवाईस पर आप इस Tutorial को पढ रहे है. क्योंकि Screen भी एक प्रकार का हार्डवेयर है जो आउटपुट डिवाईस की श्रेणी में गिना जाता हैं.
कम्प्युटर के वे भाग जिन्हे हम देख तथा छू सकते है उन्हे हार्डवेयर कहते हैं. यह कम्प्युटर के भौतिक भाग होते है. जिनसे मिलकर हमारे कम्प्युटर का शरीर बनता हैं.
सॉफ्टवेयर इन हार्डवेयर में जान डालता हैं. और उसे कार्य करने लायक बनाता हैं. तब जाकर हमे एक जीवित तथा काम करने योग्य कम्प्यूटर मशीन प्राप्त होती हैं.
कम्प्युटर हार्डवेयर का सबसे अच्छा उदाहरण है Monitor. यानि जिस डिवाईस पर आप इस Tutorial को पढ रहे है. क्योंकि Screen भी एक प्रकार का हार्डवेयर है जो आउटपुट डिवाईस की श्रेणी में गिना जाता हैं.
Type of Compute Hardware
कम्प्युटर हार्डवेयर का प्रकार
1. System Unit
यह एक प्रकार का कंटेनर होता है, जिसमें कम्प्युटर के अनेक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लगे होते है. इसका आकर एक छोटे बक्से के समान होता है. इसे आम भाषा में CPU भी कहते है. जो गलत हैं.
यह एक प्रकार का कंटेनर होता है, जिसमें कम्प्युटर के अनेक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लगे होते है. इसका आकर एक छोटे बक्से के समान होता है. इसे आम भाषा में CPU भी कहते है. जो गलत हैं.
2. Input Devices
Input Device वे उपकरण होते है, जो युजर द्वारा दिए गए निर्देशों को कम्प्युटर तक पहुँचाते है. इनके द्वारा ही आप अपना आदेश कम्प्युटर तक पहुँचाते है. इसके बाद ही कम्प्युटर अपना कार्य करता हैं.
कुछ प्रचलित इनपुट डिवाइस:
- Keyboard
- Mouse
- Scanner
- Touchscreen
Input Device वे उपकरण होते है, जो युजर द्वारा दिए गए निर्देशों को कम्प्युटर तक पहुँचाते है. इनके द्वारा ही आप अपना आदेश कम्प्युटर तक पहुँचाते है. इसके बाद ही कम्प्युटर अपना कार्य करता हैं.
कुछ प्रचलित इनपुट डिवाइस:
- Keyboard
- Mouse
- Scanner
- Touchscreen
3. Output Devices
Output Device वे उपकरण होते है, जो प्रोसेस्ड सूचनाओ को मानव द्वारा समझने लायक रूप में प्रदशित करते है. यानि आप जो काम करना चाहते है उसका परिणाम हमे जिन उपकरणों की मदद से प्राप्त होता है. उन्हे आउटपुट डिवाईस कहते हैं.
सबसे प्रचलित आउटपुट डिवाइस है:
- Monitor
- Speaker
- Printer
- Touchscreen
Output Device वे उपकरण होते है, जो प्रोसेस्ड सूचनाओ को मानव द्वारा समझने लायक रूप में प्रदशित करते है. यानि आप जो काम करना चाहते है उसका परिणाम हमे जिन उपकरणों की मदद से प्राप्त होता है. उन्हे आउटपुट डिवाईस कहते हैं.
सबसे प्रचलित आउटपुट डिवाइस है:
- Monitor
- Speaker
- Printer
- Touchscreen
4. Internal Parts
कम्प्युटर के वे भाग जो सिस्टम युनिट के भीतर स्थित होते हैं, उन्हे आंतरिक उपकरण कहते हैं. इन्हे आप बाहर नही देख सकते हैं तथा ये नाजुक होते हैं. इसलिए इनकी सुरक्षा के लिए ही इन्हे Computer Case की जरूरत पडती हैं.
कुछ आंतरिक उपकरण
- Motherboard
- CPU
- Hard Disk Drive
- RAM
- SMPS
- DVD Writer
कम्प्युटर के वे भाग जो सिस्टम युनिट के भीतर स्थित होते हैं, उन्हे आंतरिक उपकरण कहते हैं. इन्हे आप बाहर नही देख सकते हैं तथा ये नाजुक होते हैं. इसलिए इनकी सुरक्षा के लिए ही इन्हे Computer Case की जरूरत पडती हैं.
कुछ आंतरिक उपकरण
- Motherboard
- CPU
- Hard Disk Drive
- RAM
- SMPS
- DVD Writer
5. Communication Devices
इन उपकरणों में हम उन डिवाइसेस को रखते है, जो एक कम्प्युटर को दूसरे कम्प्युटर से संपर्क करने के योग्य बनाते है. इस श्रेणी में सबसे प्रचलित उपकरण Modem है.
इन उपकरणों में हम उन डिवाइसेस को रखते है, जो एक कम्प्युटर को दूसरे कम्प्युटर से संपर्क करने के योग्य बनाते है. इस श्रेणी में सबसे प्रचलित उपकरण Modem है.
हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच आपसी संबंध
- हार्डवेयर कम्प्युटर का शरीर है तो सॉफ़्टवेयर उसकी आत्मा हैं.
- दोनों, एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं.
- हार्डवेयर के बिना सॉफ्टवेयर अपना काम नही कर सकता है और सॉफ्टवेयर के बिना हार्डवेयर अनुपयोगी हैं.
- कम्प्युटर से कार्य विशेष करवाने के लिए हार्डवेयर पर उचित सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करना पडता हैं.
- सॉफ्टवेयर आपके यानि युजर और हार्डवेयर के बीच संबंध स्थापित करना है.
- हार्डवेयर कम्प्युटर का शरीर है तो सॉफ़्टवेयर उसकी आत्मा हैं.
- दोनों, एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं.
- हार्डवेयर के बिना सॉफ्टवेयर अपना काम नही कर सकता है और सॉफ्टवेयर के बिना हार्डवेयर अनुपयोगी हैं.
- कम्प्युटर से कार्य विशेष करवाने के लिए हार्डवेयर पर उचित सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करना पडता हैं.
- सॉफ्टवेयर आपके यानि युजर और हार्डवेयर के बीच संबंध स्थापित करना है.
हार्डवेयर अपग्रेड क्या हैं?
कम्प्युटर की कार्यक्षमता, फीचर, निष्पादन (Performance) को बढाने के लिए किसी एक या अधिक उपकरण को नई तकनीक और क्षमता के उपकरण से बदलना हार्डवेयर अपग्रेड करना कहलाता हैं.
जैसे; अभी आपके कम्प्युटर में 2 GB DDR2 RAM लगी हुई है. यदि आप इसे 4GB DDR2 से बदल लेते है तब यह रैम अपग्रेड करना कहलाता हैं. और यही नियम अन्य हार्डवेयर उपकरणों पर भी लागु होता हैं.
आप, हार्डवेयर में कम्प्युटर के किसी भी उपकरण को अपग्रेड कर सकते हैं. और अपने कम्प्युटर की तथा उस विशेष उपकरण की क्षमता, फीचर, गति में बढोतरी करा सकते हैं. हार्डवेयर अपग्रेड करना एक महंगी प्रक्रिया हैं. इसलिए जरूरत होने पर ही उपकरणों को अपग्रेड करना चाहिए.
कम्प्युटर की कार्यक्षमता, फीचर, निष्पादन (Performance) को बढाने के लिए किसी एक या अधिक उपकरण को नई तकनीक और क्षमता के उपकरण से बदलना हार्डवेयर अपग्रेड करना कहलाता हैं.
जैसे; अभी आपके कम्प्युटर में 2 GB DDR2 RAM लगी हुई है. यदि आप इसे 4GB DDR2 से बदल लेते है तब यह रैम अपग्रेड करना कहलाता हैं. और यही नियम अन्य हार्डवेयर उपकरणों पर भी लागु होता हैं.
आप, हार्डवेयर में कम्प्युटर के किसी भी उपकरण को अपग्रेड कर सकते हैं. और अपने कम्प्युटर की तथा उस विशेष उपकरण की क्षमता, फीचर, गति में बढोतरी करा सकते हैं. हार्डवेयर अपग्रेड करना एक महंगी प्रक्रिया हैं. इसलिए जरूरत होने पर ही उपकरणों को अपग्रेड करना चाहिए.
इनपुट और आउटपुट डिवाईस क्या है
What is Input and Output Devices
इनपुट डिवाईस क्या है
What is Input Devices
Computer अपना कार्य अपने आप नही कर सकता हैं. कम्प्युटर से कार्य करवाया जाता हैं. जिसके लिए उसे आवश्यक निर्देश और डाटा देना पडता हैं. डाटा और निर्देश पहुँचाने के लिए खास उपकरणों को सहारा लिया जाता हैं. जिन्हे हम Input Device कहते हैं.
इस Lesson में हम आपको कम्प्युटर के प्रमुख इनपुट डिवाइसों के नाम और उनकी पूरी जानकारी दे रहे हैं. ये उपकरण सबसे ज्यादा इस्तेमाल और प्रचलित इनपुट डिवाइस हैं. इसलिए हमने इस Lesson के लिए इनका चुनाव किया हैं. इनके अलावा भी और भी इनपुट डिवाइस उपलब्ध हैं.
Computer अपना कार्य अपने आप नही कर सकता हैं. कम्प्युटर से कार्य करवाया जाता हैं. जिसके लिए उसे आवश्यक निर्देश और डाटा देना पडता हैं. डाटा और निर्देश पहुँचाने के लिए खास उपकरणों को सहारा लिया जाता हैं. जिन्हे हम Input Device कहते हैं.
इस Lesson में हम आपको कम्प्युटर के प्रमुख इनपुट डिवाइसों के नाम और उनकी पूरी जानकारी दे रहे हैं. ये उपकरण सबसे ज्यादा इस्तेमाल और प्रचलित इनपुट डिवाइस हैं. इसलिए हमने इस Lesson के लिए इनका चुनाव किया हैं. इनके अलावा भी और भी इनपुट डिवाइस उपलब्ध हैं.
Keyboard
Keyboard एक इनपुट डिवाइस हैं, जिसकी सहायता से हम कम्प्युटर को निर्देश और डाटा देते हैं. की-बोर्ड का उपयोग मुख्य रूप से Text लिखने के लिए किया जाता हैं. मगर,कुछ Special Functions और Commands भी की-बोर्ड द्वारा दी जाती हैं.
Keyboard की बनावट एक Typewriter की तरह होती हैं. जिसमे 100 से भी अधिक Keys होती हैं. Keyboard Keys को Function Keys, Typing Keys, Control Keys, Navigation Keys और Numeric Keys में बांटा जाता है.
Keyboard की बनावट एक Typewriter की तरह होती हैं. जिसमे 100 से भी अधिक Keys होती हैं. Keyboard Keys को Function Keys, Typing Keys, Control Keys, Navigation Keys और Numeric Keys में बांटा जाता है.
Mouse
Mouse एक खास मगर आम इनपुट डिवाइस हैं. जिसे Pointing Device भी कहा जाता हैं. माउस का उपयोग मुख्यत: Computer Screen पर Items को चुनने, सरकाने, उनकी तरफ जाने, उन्हे खोलने और बंद करने के लिए किया जाता हैं. कम्प्युटर माउस भी आमतौर पर वास्तविक माउस की तरह ही नजर आता हैं. यह छोटा और आयताकार होता है, जो एक केबल के द्वारा कम्प्युटर से जुडा रहता हैं. लेकिन, आजकल तो Wireless Mouses भी बाजार में आ गए हैं.
Touch Screen
Touch Screen भी एक इनपुट डिवाइस होता हैं. क्या आप जानते थे? यह की-बोर्ड और माउस दोनों का कार्य अकेली कर देती हैं. यह उंगली या Stylus से Touch करने पर Event Register करती हैं और उसे Processing के लिए कम्प्युटर को भेजती हैं. Touch Screen पर Navigation के लिए Icons और Text का सहारा लिया जाता हैं.
Joy Stick
Joy Stick भी कुछ-कुछ माउस की तरह का इनपुट डिवाइस होता हैं. जिसका उपयोग Cursor या Pointer को नियत्रिंत करने के लिए किया जाता हैं. इसका उपयोग Computer Games और Graphic Designing में अधिक किया जाता हैं.
Joy Stick की बनावट Gear की जैसी होती हैं. जिसमें एक गोल या वर्गाकार Base होता हैं जिसमें Lever या छ्डी लगी रहती हैं. इस छडी को हिलाकर Cursor/Pointer को नियत्रिंत किया जाता हैं. आजकल Joy Sticks में बटन भी आते हैं जिन्हे Triggers कहा जाता हैं.
Light Pen
Light Pen एक Pointing Input Device है. जिसका इस्तेमाल Text को Select करने, Picture Draw करने के लिए किया जाता हैं. इसकी बनावट एक Ball Pen के जैसी होती हैं. Light Pen को Touch Screen का जन्म दाता भी माना जाता है.
Track Ball
Track Ball एक इनपुट डिवाइस हैं जिसका इस्तेमाल Pointer को नियत्रिंत करने के लिए किया जाता हैं. इसके Base में एक आधी धंसी हुई Ball होती हैं. जिसे हिलाने पर Pointer हलचल करता हैं. Track Ball में भी बटन होते हैं जो माउस बतन की तरह क्लिक का काम करते हैं.
Scanner
Scanner एक Photocopy मशीन की तरह होती हैं और काम करती हैं. मगर इसका परिणाम विपरित होता हैं. Scanner की मदद से हम Hard Copy यानि कागज पर उपलब्ध डाटा को कम्प्युटर में पहुँचाते हैं. जिसे Use करने से पहले Edit भी कर सकते है और Print भी ले सकते हैं.
Webcam
Webcam जिसका पूरा नाम Web Camera होता हैं. एक छोटा Digital Camera होता हैं. जो सीधे कम्प्युटर से जुडा रहता हैं. जो सॉफ्टवेयर की मदद से Control किया जाता हैं. इसका उपयोग Video Calling करने, Video Record करने, तस्वीर खींचने के लिए किया जाता हैं.
आजकल Laptop में तो Webcam Built In होता हैं. मगर कम्प्युटर के लिए इसे अलग से खरीदना पडता है. और Smart Phones में इसे Front Facing Camera आसान शब्दों में कहें तो Selfie Camera के नाम से जाना जाता हैं.
आजकल Laptop में तो Webcam Built In होता हैं. मगर कम्प्युटर के लिए इसे अलग से खरीदना पडता है. और Smart Phones में इसे Front Facing Camera आसान शब्दों में कहें तो Selfie Camera के नाम से जाना जाता हैं.
Digital Camera
Digital Camera का उपयोग तस्वीरों और विडियों को कम्प्युटर में पहुँचाने के लिए किया जाता हैं. फिर इन तस्वीरों और विडियों को Graphic Editor द्वारा Manipulate किया जाता हैं. और फिर User इन्हे Print कर सकता है.
Microphone
Microphone का इस्तेमाल Sound Input देने के लिए किया जाता हैं. इसकी सयायता Voice Chat, Calling करते समय आवाज पहुँचाई जा सकती हैं. और Presentations, Videos के लिए Sound Record की जा सकती हैं.
Microphone का इस्तेमाल Sound Input देने के लिए किया जाता हैं. इसकी सयायता Voice Chat, Calling करते समय आवाज पहुँचाई जा सकती हैं. और Presentations, Videos के लिए Sound Record की जा सकती हैं.
Graphic Tablet
Graphic Tablet को Digitizer भी कहा जाता हैं. जिसका उपयोग Computer Screen पर लिखने के लिए किया जाता हैं. यह इनपुट उपकरण Graphics और Pictorial Data को Binary Input में बदलता हैं. E-learning में इसका बहुत इस्तेमाल होता हैं.
MICR
MICR का पूरा नाम Magnet Ink Character Reader होता हैं. MICR का सबसे ज्यादा इस्तेमाल Financial Sector में किया जाता हैं. इस उपकरण की मदद से ये बैंकिग संस्थाएं Checques Processing के लिए करती हैं.
Checque पर Bank Code और Cheque Number एक विशेष स्याही से छपा रहता हैं. जिसमे मशीन के पढने योग्य Magnetic Partical मिले रहते हैं. ये मशीन Checques पर मुद्रित डाटा को पढती हैं और उसे कम्प्युटर में भेज देती हैं. यह कार्य बहुत तेजी से किया जाता हैं.
Checque पर Bank Code और Cheque Number एक विशेष स्याही से छपा रहता हैं. जिसमे मशीन के पढने योग्य Magnetic Partical मिले रहते हैं. ये मशीन Checques पर मुद्रित डाटा को पढती हैं और उसे कम्प्युटर में भेज देती हैं. यह कार्य बहुत तेजी से किया जाता हैं.
OCR
OCR का पूरा नाम Optical Character Reader होता हैं. इसका उपयोग मुद्रित (Printed), टंकित (Typed) और हस्तलिखित (Hand Written) Text को Machine-Encoded Text में बदलने के लिए किया जाता हैं. Data Entry जैसे कामों के लिए OCR सबसे ज्यादा कारगार मशीन हैं.
OCR का पूरा नाम Optical Character Reader होता हैं. इसका उपयोग मुद्रित (Printed), टंकित (Typed) और हस्तलिखित (Hand Written) Text को Machine-Encoded Text में बदलने के लिए किया जाता हैं. Data Entry जैसे कामों के लिए OCR सबसे ज्यादा कारगार मशीन हैं.
Bar Code Reader
Bar Code Reader का इस्तेमाल वस्तुओं पर मुद्रित Bar Coded Data को पढने के लिए किया जाता हैं. इसकी सहायता से वस्तुओं की गिनती, छंटनी आसानी से हो जाती हैं. यह एक Scanner की तरह कार्य करता हैं. जो डाटा को पढता हैं और उसे कम्प्युटर में भेज देता हैं.
OMR
OMR का पूरा नाम Optical Mark Reader होता हैं. जो पेन या पेंसिल के Marks को Scan करता हैं. इसका उपयोग Answer Sheets को Check करने के लिए किया जाता हैं. जिन्हे OMR Sheet कहा जाता है. इसके द्वारा बहुचयनात्मक प्रशनों को जांचा जाता हैं.
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आउटपुट डिवाईस क्या है
What is Output Devices
कम्प्युटर Input Devices से निर्देश और डाटा लेकर उसे Process करने के बाद परिणाम देता हैं. इस परिणाम को दिखाने के लिए उसे कुछ खास उपकरणों की जरूरत पडती हैं. जिन्हे Output Devices कहते हैं.
इस Lesson में हम आपको Computer के Output Devices की पूरी जानकारी देंगे. हमने यहाँ प्रमुख आउटपुट डिवाइसों को चुना हैं. जो सबसे ज्यादा प्रचलित और उपयोग में लिए जाते हैं. क्योंकि परिणाम के अनुसार आउटपुट उपकरण भी बदल सकता हैं.
इस Lesson में हम आपको Computer के Output Devices की पूरी जानकारी देंगे. हमने यहाँ प्रमुख आउटपुट डिवाइसों को चुना हैं. जो सबसे ज्यादा प्रचलित और उपयोग में लिए जाते हैं. क्योंकि परिणाम के अनुसार आउटपुट उपकरण भी बदल सकता हैं.
Monitor
Monitor जिसे, VDT – Video Display Terminal और VDU – Video Display Unit, भी कहते हैं. कम्प्युटर का मुख्य Output Device है. जिसका इस्तेमाल Computer Output Display करने के लिए करता हैं. ये आउटपुट Video, Text, Images कुछ भी होत सकता है.
Monitor किसी आउटपुट को दिखाने के लिए Pixels का इस्तेमाल करता हैं. जितने ज्यादा Pixels होंगे Object भी उतना ही साफ होगा. Pixels को आप एक Dot मान सकते हैं.
Monitor की बनावट आपकी TV के जैसी होती हैं. जिसमें Screen, Button, Power Supply, Case आदि चीजें होती हैं. इन मॉनिटर को इनकी Manufacturing Technology के आधार पर दो वर्गों में बांटा जाता हैं.
- CRT Monitor
- FPD Monitor
Monitor जिसे, VDT – Video Display Terminal और VDU – Video Display Unit, भी कहते हैं. कम्प्युटर का मुख्य Output Device है. जिसका इस्तेमाल Computer Output Display करने के लिए करता हैं. ये आउटपुट Video, Text, Images कुछ भी होत सकता है.
Monitor किसी आउटपुट को दिखाने के लिए Pixels का इस्तेमाल करता हैं. जितने ज्यादा Pixels होंगे Object भी उतना ही साफ होगा. Pixels को आप एक Dot मान सकते हैं.
Monitor की बनावट आपकी TV के जैसी होती हैं. जिसमें Screen, Button, Power Supply, Case आदि चीजें होती हैं. इन मॉनिटर को इनकी Manufacturing Technology के आधार पर दो वर्गों में बांटा जाता हैं.
- CRT Monitor
- FPD Monitor
1. CRT Monitor
CRT का पूरा नाम Cathode-Ray Tube होता हैं. CRT एक Electron Beam होती हैं. जो स्क्रीन पर घूमती हैं. इसे आम भाषा में Pixel कहा जाता हैं. Screen पर जितने ज्यादा CRT होंगे Object उतना ही Quality का दिखाई देता हैं.
एक CRT Monitor आपकी पूरानी TV के जैसा होता हैं. जो बहुत वजनी भी होता हैं. और बिजली भी अधिक खपत करता हैं. ये मॉनिटर अधिकतर तीसरी और चौथी पीढि के कम्प्युटरों में इस्तेमाल होते थे.
CRT का पूरा नाम Cathode-Ray Tube होता हैं. CRT एक Electron Beam होती हैं. जो स्क्रीन पर घूमती हैं. इसे आम भाषा में Pixel कहा जाता हैं. Screen पर जितने ज्यादा CRT होंगे Object उतना ही Quality का दिखाई देता हैं.
एक CRT Monitor आपकी पूरानी TV के जैसा होता हैं. जो बहुत वजनी भी होता हैं. और बिजली भी अधिक खपत करता हैं. ये मॉनिटर अधिकतर तीसरी और चौथी पीढि के कम्प्युटरों में इस्तेमाल होते थे.
2. FPD Monitor
FPD का पूरा नाम Flat-Panel Display होता हैं. जो एक पतली स्क्रीन होती हैं. जिसे आप दीवार पर टांग सकते हैं, हाथ में पहन सकते हैं. यह बहुत हल्कि , छोटी और मजबूत होती हैं. इनका इस्तेमाल आप Calculators, Digital Clocks, Laptop Dispaly, Smartphone Screen आदि में होता हैं.
FPD को आप दीवार पर टंगी TV के समान मान सकते हैं. जिसे आप LCD – Liquid Crystal Device और LED – Light Emitting Diodes के नाम से भी जानते हैं. आजकल कम्प्युटरों में LCD और LED Monitors का ही उपयोग किया जाता हैं.
FPD का पूरा नाम Flat-Panel Display होता हैं. जो एक पतली स्क्रीन होती हैं. जिसे आप दीवार पर टांग सकते हैं, हाथ में पहन सकते हैं. यह बहुत हल्कि , छोटी और मजबूत होती हैं. इनका इस्तेमाल आप Calculators, Digital Clocks, Laptop Dispaly, Smartphone Screen आदि में होता हैं.
FPD को आप दीवार पर टंगी TV के समान मान सकते हैं. जिसे आप LCD – Liquid Crystal Device और LED – Light Emitting Diodes के नाम से भी जानते हैं. आजकल कम्प्युटरों में LCD और LED Monitors का ही उपयोग किया जाता हैं.
Speaker
Speaker एक आउटपुट डिवाइस हैं जिसका इस्तेमाल कम्प्युटर Sound Output देने के लिए करता हैं. आप जो गाने सुनते हैं. फिल्मों के डायलॉग सुनते हैं. वह सब Speaker के द्वारा ही सुनाई पडता हैं. कम्प्युटर Sound Results को Speaker के माध्यम से ही बताता हैं.
Speaker एक आउटपुट डिवाइस हैं जिसका इस्तेमाल कम्प्युटर Sound Output देने के लिए करता हैं. आप जो गाने सुनते हैं. फिल्मों के डायलॉग सुनते हैं. वह सब Speaker के द्वारा ही सुनाई पडता हैं. कम्प्युटर Sound Results को Speaker के माध्यम से ही बताता हैं.
Printer
Printer एक अन्य महत्वपूर्ण आउटपुट डिवाइस हैं. जिसका उपयोग Computer में Stored Digital Data को कागज पर मुद्रित किया जाता हैं. जब डाटा कागज पर छ्प जाता हैं तो इसे Hard Copy कहते हैं. और कम्प्युटर में रहने पर इसे Soft Copy कहा जाता हैं.
हम कम्प्युटर में उपलब्ध डाटा को कई प्रकार और Quality में छाप सकते हैं. इसके लिए हमे अलग-अलग प्रकार के Printers की जरूरत पडती हैं. जिनके नाम नीचे दिये जा रहे हैं.
- Dot Matrix Printer
- Drum Printer
- Line Printer
- Laser Printer
- Inkjet Printer
- 3D Printer
Printer एक अन्य महत्वपूर्ण आउटपुट डिवाइस हैं. जिसका उपयोग Computer में Stored Digital Data को कागज पर मुद्रित किया जाता हैं. जब डाटा कागज पर छ्प जाता हैं तो इसे Hard Copy कहते हैं. और कम्प्युटर में रहने पर इसे Soft Copy कहा जाता हैं.
हम कम्प्युटर में उपलब्ध डाटा को कई प्रकार और Quality में छाप सकते हैं. इसके लिए हमे अलग-अलग प्रकार के Printers की जरूरत पडती हैं. जिनके नाम नीचे दिये जा रहे हैं.
- Dot Matrix Printer
- Drum Printer
- Line Printer
- Laser Printer
- Inkjet Printer
- 3D Printer
Projector
Projector एक आउटपुट डिवाइस हैं जिसका उपयोग Computer Images, Videos, Texts या अन्य Items को दीवार या फिर किसी दूसरी समतल स्थल पर दिखाने के लिए करता हैं. यह इस काम के लिए एक रोशनी दीवार पर भेजता हैं जिसे Project करना कहते हैं. इसलिए इस डिवाइस को Projector कहा जाता हैं.
Projector एक मॉनिटर का कार्य ही करता हैं जो आउटपुट को किसी दुसरी चीज पर दिखाता हैं. Business Meetings, Class Room Teaching, Public Shows, Theaters आदि में इसका उपयोग बहुत किया जाता हैं. Projector का आउटपुट वास्तविक Size से बडा, समतल और ज्यादा रंगीन होता होता है.
Projector एक मॉनिटर का कार्य ही करता हैं जो आउटपुट को किसी दुसरी चीज पर दिखाता हैं. Business Meetings, Class Room Teaching, Public Shows, Theaters आदि में इसका उपयोग बहुत किया जाता हैं. Projector का आउटपुट वास्तविक Size से बडा, समतल और ज्यादा रंगीन होता होता है.
Headphone
Headphone भी Sound Output के लिए इस्तेमाल किया जा सकता हैं. लेकिन इसके द्वारा आप Sound Input भी कम्प्युटर को दे सकते हैं. इसके द्वारा आप अपनी खुद की आवाज Record कर सकते हैं. इसलिए इसे Input Device भी कहा जाता हैं.
Headphone भी Sound Output के लिए इस्तेमाल किया जा सकता हैं. लेकिन इसके द्वारा आप Sound Input भी कम्प्युटर को दे सकते हैं. इसके द्वारा आप अपनी खुद की आवाज Record कर सकते हैं. इसलिए इसे Input Device भी कहा जाता हैं.
सीपीयु और मैमोरी की पूरी जानकारी
Full Information of CPU & Memory
सीपीयु क्या होता है - What is CPU
CPU Computer का एक Important Part होता हैं. जिसके बिना कम्प्युटर अपना कार्य नही कर सकता हैं. इस Lesson में हम आपको CPU के बारे में पूरी जानकारी देंगे. आप जानेंगे कि CPU क्या होता हैं? CPU कैसे काम करता हैं? CPU के Parts कौन-कौन से हैं?
CPU का पूरा नाम (CPU Full Form in Hindi) Central Processing Unit होता हैं. जिसे Processor, Microprocessor और केवल CPU भी कहा जाता हैं. इसे कम्प्युटर का दिमाग भी कहते हैं. क्योंकि CPU कम्प्युटर से जुडे सभी Hardwares और Softwares से प्राप्त निर्देशों को संभालता हैं. और Input Devices से प्राप्त निर्देशों और डाटा को प्राप्त करता हैं, उसे Process करता हैं और परिणाम देता है.
आमतौर पर नये Users या जानकारी के अभाव में लोग CPU को ही कम्प्युटर समझने लगते हैं. मगर ये गलत हैं CPU तो कम्प्युटर का एक छोटा-सा मगर एक बहूत ही महत्वपूर्ण अंग हैं. जो Motherboard में लगा रहता हैं.
CPU अपना कार्य तीन सहायक उपकरणों की सहायता से पूरा करता हैं. जिनके नाम नीचे दिये जा रहे हैं.
- Memory
- Control Unit
- ALU
CPU का पूरा नाम (CPU Full Form in Hindi) Central Processing Unit होता हैं. जिसे Processor, Microprocessor और केवल CPU भी कहा जाता हैं. इसे कम्प्युटर का दिमाग भी कहते हैं. क्योंकि CPU कम्प्युटर से जुडे सभी Hardwares और Softwares से प्राप्त निर्देशों को संभालता हैं. और Input Devices से प्राप्त निर्देशों और डाटा को प्राप्त करता हैं, उसे Process करता हैं और परिणाम देता है.
आमतौर पर नये Users या जानकारी के अभाव में लोग CPU को ही कम्प्युटर समझने लगते हैं. मगर ये गलत हैं CPU तो कम्प्युटर का एक छोटा-सा मगर एक बहूत ही महत्वपूर्ण अंग हैं. जो Motherboard में लगा रहता हैं.
CPU अपना कार्य तीन सहायक उपकरणों की सहायता से पूरा करता हैं. जिनके नाम नीचे दिये जा रहे हैं.
- Memory
- Control Unit
- ALU
1. Memory
Memory को आप कम्प्युटर का गोदाम या भंडार ग्रह भी समझ सकते हैं. क्योंकि इसमे Data को Store किया जाता हैं. CPU प्राप्त निर्देशों और डाटा को पहले अपनी स्मृति में भंडारित करता हैं और फिर दुबारा Data को Process करने के बाद भी उसे Memory में ही Store करता हैं. जिसे User कभी इस्तेमाल कर सकता हैं.
इस कार्य के लिए कम्प्युटर अलग-अलग Memory काम मे लेता हैं. जिस Memory में Unprocessed Data (Input) रखा जाता हैं उसे प्राथमिक स्मृति (RAM) कहा जाता हैं. और जिस Memory में Processed Data (Output) भेजा जाता हैं उसे द्वितीयक स्मृति (ROM) कहा जाता हैं.
Memory को आप कम्प्युटर का गोदाम या भंडार ग्रह भी समझ सकते हैं. क्योंकि इसमे Data को Store किया जाता हैं. CPU प्राप्त निर्देशों और डाटा को पहले अपनी स्मृति में भंडारित करता हैं और फिर दुबारा Data को Process करने के बाद भी उसे Memory में ही Store करता हैं. जिसे User कभी इस्तेमाल कर सकता हैं.
इस कार्य के लिए कम्प्युटर अलग-अलग Memory काम मे लेता हैं. जिस Memory में Unprocessed Data (Input) रखा जाता हैं उसे प्राथमिक स्मृति (RAM) कहा जाता हैं. और जिस Memory में Processed Data (Output) भेजा जाता हैं उसे द्वितीयक स्मृति (ROM) कहा जाता हैं.
2. Control Unit
Control Unit जिसे CU भी बोलते हैं कम्प्युटर का Manager होता हैं. जो सभी Operations को नियत्रिंत करता हैं. Control Unit Memory, Logical Unit, Input & Output Devices को बताता हैं कि किसी प्रोग्राम से प्राप्त निर्देशों का किस प्रकार पालन करना हैं.
Control Unit Memory से निर्देश प्राप्त करती हैं और उसे Decode करके Central Processor को भेज देती हैं. फिर उस Particular Event को Process किया जाता है. और यह प्रकिर्या चलती ही रहती हैं.
Control Unit जिसे CU भी बोलते हैं कम्प्युटर का Manager होता हैं. जो सभी Operations को नियत्रिंत करता हैं. Control Unit Memory, Logical Unit, Input & Output Devices को बताता हैं कि किसी प्रोग्राम से प्राप्त निर्देशों का किस प्रकार पालन करना हैं.
Control Unit Memory से निर्देश प्राप्त करती हैं और उसे Decode करके Central Processor को भेज देती हैं. फिर उस Particular Event को Process किया जाता है. और यह प्रकिर्या चलती ही रहती हैं.
3. ALU
ALU का पूरा नाम Arithmetic Logical Unit हैं. यह Unit सिर्फ दो कार्य करती हैं. पहला डाटा पर गणितिय क्रिया करना. और दूसरा, परिणाम देना. ALU CPU की सबसे Complex और Important Part इकाई होती हैं.
ALU गणितीय क्रियाओं में जोड, घटाव, गुणा, भाग आदि करता हैं. और निर्णय देने के लिए डाटा का मिलान, तुलना करना, छांटना आदि कार्य करता हैं. फिर किसी निर्णय पर पहुँचता हैं. जिसे Output कहा जाता हैं. एक काम पूरा होने के बाद पुन: दूसरा काम करने के लिए यह प्रक्रिया दोहराई जाती हैं.
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ALU का पूरा नाम Arithmetic Logical Unit हैं. यह Unit सिर्फ दो कार्य करती हैं. पहला डाटा पर गणितिय क्रिया करना. और दूसरा, परिणाम देना. ALU CPU की सबसे Complex और Important Part इकाई होती हैं.
ALU गणितीय क्रियाओं में जोड, घटाव, गुणा, भाग आदि करता हैं. और निर्णय देने के लिए डाटा का मिलान, तुलना करना, छांटना आदि कार्य करता हैं. फिर किसी निर्णय पर पहुँचता हैं. जिसे Output कहा जाता हैं. एक काम पूरा होने के बाद पुन: दूसरा काम करने के लिए यह प्रक्रिया दोहराई जाती हैं.
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मैमोरी क्या होता है - What is Memory
हम इंसान याद रखने के लिए मस्तिष्क का उपयोग करते हैं. मगर कम्प्युटर के पास हमारी तरह मस्तिष्क नही होता हैं. यह डाटा और निर्देशों को याद रखने के लिए अर्थात संग्रहित करने के लिए Memory का इस्तेमाल करता हैं. जिसे Computer Memory कहा जाता हैं.
प्राप्त डाटा, निर्देश और परिणाम को संग्रहित करना भंडारित करना Memory कहलाता हैं. इसे आम भाषा में याद रखना भी कहते हैं. यानि, याददाश्त. कम्प्युटर याद रखने के लिए जिस उपकरण का सहारा लेता हैं, उसे कम्प्युटर मैमोरी कहते हैं.
Computer Memory Data को स्टोर करने का काम करती हैं. और जरुरत पडने पर उसे कम्प्युटर को उपलब्ध करवाती हैं. मैमोरी छोटे-छोटे भागों में बंटी रहती हैं. प्रत्येक भाग को एक Cell कहा जाता हैं.
Memory में उपलब्ध प्रत्येक Cell की अपनी अलग पहचान होती हैं. जिसे Cell Address/Path कहते हैं. इन Cells में ही डाटा संग्रहित किया जाता हैं. यह डाटा Binary Digits (0, 1) में स्टोर रहता हैं.
प्राप्त डाटा, निर्देश और परिणाम को संग्रहित करना भंडारित करना Memory कहलाता हैं. इसे आम भाषा में याद रखना भी कहते हैं. यानि, याददाश्त. कम्प्युटर याद रखने के लिए जिस उपकरण का सहारा लेता हैं, उसे कम्प्युटर मैमोरी कहते हैं.
Computer Memory Data को स्टोर करने का काम करती हैं. और जरुरत पडने पर उसे कम्प्युटर को उपलब्ध करवाती हैं. मैमोरी छोटे-छोटे भागों में बंटी रहती हैं. प्रत्येक भाग को एक Cell कहा जाता हैं.
Memory में उपलब्ध प्रत्येक Cell की अपनी अलग पहचान होती हैं. जिसे Cell Address/Path कहते हैं. इन Cells में ही डाटा संग्रहित किया जाता हैं. यह डाटा Binary Digits (0, 1) में स्टोर रहता हैं.
Computer Memory के विभिन्न प्रकार
Types of Computer Memory
Computer में डाटा को स्थायी और अस्थायी रूप में संग्रहित किया जाता हैं. जिसके लिए वह अलग-अलग प्रकार की स्मृति इस्तेमाल करता हैं. जिन्हे इस प्रकार वर्गीकृत किया जाता हैं.
- Cache Memory
- Primary Memory
- Secondary Memory
Computer में डाटा को स्थायी और अस्थायी रूप में संग्रहित किया जाता हैं. जिसके लिए वह अलग-अलग प्रकार की स्मृति इस्तेमाल करता हैं. जिन्हे इस प्रकार वर्गीकृत किया जाता हैं.
- Cache Memory
- Primary Memory
- Secondary Memory
1. Cache Memory क्या होती हैं?
यह मैमोरी बहुत ही तेज होती हैं. इस मैमोरी में अधिकतर यानि Frequently इस्तेमाल होने वाले प्रोग्राम और निर्देश संग्रहित किये जाते हैं. ताकि CPU – Central Processing Unit तेजी से कार्य कर सके.
Cache Memory CPU और Main Memory के बीच स्थित होती हैं. यानि CPU पहले से ही Cache Memory में स्टोर डाटा और निर्देश प्राप्त कर लेता हैं. और कार्य के दोहराव से बच जाता हैं. क्योंकि उसे अब किसी कार्य के लिए निर्देश और डाटा प्राप्त करने के लिए प्राथमिक स्मृति में नही जाना पडता हैं. इसलिए CPU तेजी से कार्य करता हैं.
यह मैमोरी बहुत ही तेज होती हैं. इस मैमोरी में अधिकतर यानि Frequently इस्तेमाल होने वाले प्रोग्राम और निर्देश संग्रहित किये जाते हैं. ताकि CPU – Central Processing Unit तेजी से कार्य कर सके.
Cache Memory CPU और Main Memory के बीच स्थित होती हैं. यानि CPU पहले से ही Cache Memory में स्टोर डाटा और निर्देश प्राप्त कर लेता हैं. और कार्य के दोहराव से बच जाता हैं. क्योंकि उसे अब किसी कार्य के लिए निर्देश और डाटा प्राप्त करने के लिए प्राथमिक स्मृति में नही जाना पडता हैं. इसलिए CPU तेजी से कार्य करता हैं.
Cache Memory की विशेषताएं
- Cache Memory प्राथमिक स्मृति से तेज होती हैं.
- इसमें डाटा अस्थायी रूप में संग्रहित रहता हैं.
- इसमे अधिकतर इस्तेमाल होने प्रोग्रामों और कार्यों के निर्देश स्टोर रहते हैं.
- इसकी स्टोर क्षमता सीमित होती हैं.
- Stored Data को बार-बार साफ करना पडता हैं.
- Cache Memory प्राथमिक स्मृति से तेज होती हैं.
- इसमें डाटा अस्थायी रूप में संग्रहित रहता हैं.
- इसमे अधिकतर इस्तेमाल होने प्रोग्रामों और कार्यों के निर्देश स्टोर रहते हैं.
- इसकी स्टोर क्षमता सीमित होती हैं.
- Stored Data को बार-बार साफ करना पडता हैं.
2. Primary Memory (प्राथमिक मैमोरी) क्या होती हैं?
Primary Memory को मुख्य मैमोरी (Main Memory) और अस्थायी मैमोरी (Volatile Memory) भी कहा जाता हैं. यह मैमोरी CPU का भाग होती हैं. जहाँ से CPU डाटा और निर्देश प्राप्त करता हैं. और प्रोसेस करने के बाद रक्षित रखता हैं.
प्राथमिक मैमोरी में वर्तमान में किया जा रहे काम के निर्देश और डाटा संग्रहित रहता हैं. यह मैमोरी अस्थायी होती हैं. काम खत्म होने के बाद संग्रहित डाटा स्वत: डिलिट हो जाता हैं और अगले काम का डाटा स्टोर हो जाता हैं. यह एक सतत प्रक्रिया हैं. अगर Computer Shut Downहोने पर भी सारा डाटा डिलिट हो जाता हैं.
प्राथमिक मैमोरी के दो प्रकार होते हैं.
- RAM or Volatile Memory
- ROM or Non-Volatile Memory
Primary Memory को मुख्य मैमोरी (Main Memory) और अस्थायी मैमोरी (Volatile Memory) भी कहा जाता हैं. यह मैमोरी CPU का भाग होती हैं. जहाँ से CPU डाटा और निर्देश प्राप्त करता हैं. और प्रोसेस करने के बाद रक्षित रखता हैं.
प्राथमिक मैमोरी में वर्तमान में किया जा रहे काम के निर्देश और डाटा संग्रहित रहता हैं. यह मैमोरी अस्थायी होती हैं. काम खत्म होने के बाद संग्रहित डाटा स्वत: डिलिट हो जाता हैं और अगले काम का डाटा स्टोर हो जाता हैं. यह एक सतत प्रक्रिया हैं. अगर Computer Shut Downहोने पर भी सारा डाटा डिलिट हो जाता हैं.
प्राथमिक मैमोरी के दो प्रकार होते हैं.
- RAM or Volatile Memory
- ROM or Non-Volatile Memory
Primary Memory की विशेषताएं
- यह मैमोरी अस्थायी होती हैं.
- CPU का भाग होती है.
- Power Supply या काम खत्म होने के बाद डाटा स्वत: डिलिट हो जाता हैं.
- इसके बिना काम्प्युटर काम नही कर सकता हैं.
- अतिरिक्त मैमोरी से तेज होती है.
- यह मैमोरी अस्थायी होती हैं.
- CPU का भाग होती है.
- Power Supply या काम खत्म होने के बाद डाटा स्वत: डिलिट हो जाता हैं.
- इसके बिना काम्प्युटर काम नही कर सकता हैं.
- अतिरिक्त मैमोरी से तेज होती है.
3. Secondary Memory (द्वितीयक मैमोरी) क्या होती हैं?
इसे External (अतिरिक्त) और Non-Volatile Memory के नाम से भी जाना जाता हैं. इसका इस्तेमाल डाटा को Permanently Store करने के लिए किया जाता हैं. इस मैमोरी में संग्रहित डाटा हमेशा के लिए सुरक्षित रहता हैं. जिसे User और कम्प्युटर कभी भी Access कर सकते हैं.
इसे External (अतिरिक्त) और Non-Volatile Memory के नाम से भी जाना जाता हैं. इसका इस्तेमाल डाटा को Permanently Store करने के लिए किया जाता हैं. इस मैमोरी में संग्रहित डाटा हमेशा के लिए सुरक्षित रहता हैं. जिसे User और कम्प्युटर कभी भी Access कर सकते हैं.
Secondary Memory की विशेषताएं
- यह स्थायी मैमोरी होती हैं.
- डाटा हमेशा के लिए संग्रहित रहता हैं.
- इसकी गती थोडी कम होती हैं.
- स्टोर क्षमता बहुत ज्यादा होती हैं.
- काम खत्म होने या कम्प्युटर बंद होने पर भी डाटा रक्षित रहता हैं.
- यह स्थायी मैमोरी होती हैं.
- डाटा हमेशा के लिए संग्रहित रहता हैं.
- इसकी गती थोडी कम होती हैं.
- स्टोर क्षमता बहुत ज्यादा होती हैं.
- काम खत्म होने या कम्प्युटर बंद होने पर भी डाटा रक्षित रहता हैं.
Computer Memory Units
Computer Memory में डाटा 0 और 1 के रूप में संग्रहित रहता हैं. इन दो संख्याओं को Binary Digits और Bits कहा जाता हैं. प्रत्येक अंक एक Bit को प्रस्तुत करता हैं. इसलिए Computer Memory की सबसे छोटी इकाई Bit होती हैं.
Memory के छोटे-छोटे Characters को Represent करने के लिए इन Binary Digits का एक Set बनाया जाता हैं. इसकी शुरुआत 8 Digits या 8 Bits (जैसे; 10011001) से होती हैं. ये 8 Bits 1 Byte के बराबर होते हैं.
इसी प्रकार ज्याडा डाटा को Represent करने के लिए इन Bits का और बडा Set बनाया जाता हैं. जिनका नामकरण Bits की संख्याओं के आधार पर किया जाता हैं. नीचे हम अब तक बनाये गये Bits Sets के बारे में बता रहे हैं.
- Bit = 0 या 1
- 4 Bit = 1 Nibble
- 2 Nibble और 8 Bit = 1 Byte
- 1024 Byte = 1 KB (Kilo Byte)
- 1024 KB = 1 MB (Mega Byte)
- 1024 MB = 1 GB (Giga Byte)
- 1024 GB = 1 TB (Tera Byte)
- 1024 TB = 1 PB (Penta Byte)
- 1024 PB = 1 EB (Exa Byte)
- 1024 EB = 1 ZB (Zetta Byte)
- 1024 ZB = 1 YB (Yotta Byte)
- 1024 YB = 1 BB (Bronto Byte)
- 1024 BB = 1 GB (Geop Byte)
Note:- Bit को अग्रेंजी के छोटे “b” से Represent किया जाता हैं. और Byte को अग्रेंजी के बडे “B” से Represent किया जाता हैं. जैसे; 200 Mbps को आप 200 MBps के बराबर नही मान सकते हैं. क्योंकि 200 Mbps का मतलब 200 Mega Bits Per Second है. और दूसरे 200 MBps का मतलब 200 Mega Byte Per Second होता हैं.
Computer Memory में डाटा 0 और 1 के रूप में संग्रहित रहता हैं. इन दो संख्याओं को Binary Digits और Bits कहा जाता हैं. प्रत्येक अंक एक Bit को प्रस्तुत करता हैं. इसलिए Computer Memory की सबसे छोटी इकाई Bit होती हैं.
Memory के छोटे-छोटे Characters को Represent करने के लिए इन Binary Digits का एक Set बनाया जाता हैं. इसकी शुरुआत 8 Digits या 8 Bits (जैसे; 10011001) से होती हैं. ये 8 Bits 1 Byte के बराबर होते हैं.
इसी प्रकार ज्याडा डाटा को Represent करने के लिए इन Bits का और बडा Set बनाया जाता हैं. जिनका नामकरण Bits की संख्याओं के आधार पर किया जाता हैं. नीचे हम अब तक बनाये गये Bits Sets के बारे में बता रहे हैं.
- Bit = 0 या 1
- 4 Bit = 1 Nibble
- 2 Nibble और 8 Bit = 1 Byte
- 1024 Byte = 1 KB (Kilo Byte)
- 1024 KB = 1 MB (Mega Byte)
- 1024 MB = 1 GB (Giga Byte)
- 1024 GB = 1 TB (Tera Byte)
- 1024 TB = 1 PB (Penta Byte)
- 1024 PB = 1 EB (Exa Byte)
- 1024 EB = 1 ZB (Zetta Byte)
- 1024 ZB = 1 YB (Yotta Byte)
- 1024 YB = 1 BB (Bronto Byte)
- 1024 BB = 1 GB (Geop Byte)
Note:- Bit को अग्रेंजी के छोटे “b” से Represent किया जाता हैं. और Byte को अग्रेंजी के बडे “B” से Represent किया जाता हैं. जैसे; 200 Mbps को आप 200 MBps के बराबर नही मान सकते हैं. क्योंकि 200 Mbps का मतलब 200 Mega Bits Per Second है. और दूसरे 200 MBps का मतलब 200 Mega Byte Per Second होता हैं.
कम्प्युटर RAM and ROM की पूरी जानकारी
What is Computer RAM
RAM का पूरा नाम Random Access Memory होता हैं. इसे Main Memory और प्राथमिक मेमोरी भी कहते हैं. RAM में CPU द्वारा वर्तमान में किये जा रहे कार्यों का डाटा और निर्देश Store रहते हैं. यह मेमोरी CPU का भाग होती हैं. इसलिए इसका डाटा Direct Access किया जा सकता है.
RAM में डाटा और निर्देश Cells में Store रहता हैं. प्रत्येक Cell कुछ Raws एवं Columns से मिलकर बना होता हैं, जिसका अपना Unique Address होता हैं. इसे Cell Path भी कहते है. CPU इन Cells से अलग-अलग डाटा प्राप्त कर सकता हैं. और वो भी बिना Sequent के मतलब RAM में उपलब्ध डाटा को Randomly Access किया जा सकता हैं. शायद इसी विशेषता के कारण इस मेमोरी का नाम Random Access Memory रखा गया हैं.
RAM एक Volatile Memory होती हैं. इसलिए इसमे Store Data हमेशा के लिए स्टोर नही रहता है. जब तक RAM में Power Supply On रहती है. तब तक डाटा रहता हैं. Computer Shut Down होने पर RAM का सारा डाटा स्वत: डिलित हो जाता हैं.
RAM का पूरा नाम Random Access Memory होता हैं. इसे Main Memory और प्राथमिक मेमोरी भी कहते हैं. RAM में CPU द्वारा वर्तमान में किये जा रहे कार्यों का डाटा और निर्देश Store रहते हैं. यह मेमोरी CPU का भाग होती हैं. इसलिए इसका डाटा Direct Access किया जा सकता है.
RAM में डाटा और निर्देश Cells में Store रहता हैं. प्रत्येक Cell कुछ Raws एवं Columns से मिलकर बना होता हैं, जिसका अपना Unique Address होता हैं. इसे Cell Path भी कहते है. CPU इन Cells से अलग-अलग डाटा प्राप्त कर सकता हैं. और वो भी बिना Sequent के मतलब RAM में उपलब्ध डाटा को Randomly Access किया जा सकता हैं. शायद इसी विशेषता के कारण इस मेमोरी का नाम Random Access Memory रखा गया हैं.
RAM एक Volatile Memory होती हैं. इसलिए इसमे Store Data हमेशा के लिए स्टोर नही रहता है. जब तक RAM में Power Supply On रहती है. तब तक डाटा रहता हैं. Computer Shut Down होने पर RAM का सारा डाटा स्वत: डिलित हो जाता हैं.
RAM की विशेषताएँ
- CPU का भाग होती हैं.
- इसके बिना कम्प्युटर अपना काम नही कर सकता हैं.
- कम्प्युटर की प्राथमिक मेमोरी होती हैं.
- उपलब्ध डाटा Randomly Access कर सकते है.
- अस्थायी मगर तेज होती हैं.
- RAM मंहगी होती हैं.
- Storage से भिन्न होती हैं.
- CPU का भाग होती हैं.
- इसके बिना कम्प्युटर अपना काम नही कर सकता हैं.
- कम्प्युटर की प्राथमिक मेमोरी होती हैं.
- उपलब्ध डाटा Randomly Access कर सकते है.
- अस्थायी मगर तेज होती हैं.
- RAM मंहगी होती हैं.
- Storage से भिन्न होती हैं.
RAM के विभिन्न प्रकार–Types of RAM
Computer लगातार विकास कर रहा हैं. जिसके कारण इसके अन्य महत्वपूर्ण भागों को भी उन्नत होना पडा हैं. जिनमे RAM भी शामिल हैं. RAM भी विकास के कारण अलग-अलग कार्य विशेषताओं में उपलब्ध हुई हैं. जिन्हे दो प्रमुख प्रकार में बांट सकते हैं.
- SRAM
- DRAM
Computer लगातार विकास कर रहा हैं. जिसके कारण इसके अन्य महत्वपूर्ण भागों को भी उन्नत होना पडा हैं. जिनमे RAM भी शामिल हैं. RAM भी विकास के कारण अलग-अलग कार्य विशेषताओं में उपलब्ध हुई हैं. जिन्हे दो प्रमुख प्रकार में बांट सकते हैं.
- SRAM
- DRAM
1. SRAM
SRAM का पूरा नाम Static Random Access Memory होता हैं. जिसमें शब्द “Static” बताता हैं कि इस RAM में डाटा स्थिर रहता हैं. और उसे बार-बार Refresh करने की जरूरत नही पडती है.
SRAM भी Volatile Memory होती हैं. इसलिए Power On रहने तक इसमे डाटा मौजूद रहता हैं. Power Off होते ही सारा डाटा स्वत: डिलिट हो जाता हैं. इस मेमोरी को Cache Memoryके रूप में इस्तेमाल किया जाता हैं.
SRAM का पूरा नाम Static Random Access Memory होता हैं. जिसमें शब्द “Static” बताता हैं कि इस RAM में डाटा स्थिर रहता हैं. और उसे बार-बार Refresh करने की जरूरत नही पडती है.
SRAM भी Volatile Memory होती हैं. इसलिए Power On रहने तक इसमे डाटा मौजूद रहता हैं. Power Off होते ही सारा डाटा स्वत: डिलिट हो जाता हैं. इस मेमोरी को Cache Memoryके रूप में इस्तेमाल किया जाता हैं.
2. DRAM
DRAM का पूरा नाम Dynamic Random Access Memory होता हैं. जिसमे शब्द “Dynamic” का मतलब होता हैं चलायमान. अर्थात हमेशा परिवर्तित होते रहना. इसलिए इस RAM को लगातार Refresh करना पडता हैं. तभी इसमें डाटा स्टोर किया जा सकता है.
CPU की मुख्य मेमोरी के रुप में DRAM का ही इस्तेमाल किया जाता हैं. क्योंकि इसमे से डाटा को Randomly प्राप्त किया जा सकता हैं. और इसमें नया डाटा अपने आप स्टोर होता रहता है. जिसके कारण CPU की कार्य क्षमता तेज बनी रहती है.
DRAM भी Volatile होती हैं. इसलिए इसमें भी डाटा Power Supply On रहने तक ही स्टोर रहता हैं. आजकल Computers, Smartphones, Tablets आदि उपकरणॉं में DRAM का ही इस्तेमाल किया जाता है. क्योंकि यह SRAM से सस्ती भी होती हैं.
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DRAM का पूरा नाम Dynamic Random Access Memory होता हैं. जिसमे शब्द “Dynamic” का मतलब होता हैं चलायमान. अर्थात हमेशा परिवर्तित होते रहना. इसलिए इस RAM को लगातार Refresh करना पडता हैं. तभी इसमें डाटा स्टोर किया जा सकता है.
CPU की मुख्य मेमोरी के रुप में DRAM का ही इस्तेमाल किया जाता हैं. क्योंकि इसमे से डाटा को Randomly प्राप्त किया जा सकता हैं. और इसमें नया डाटा अपने आप स्टोर होता रहता है. जिसके कारण CPU की कार्य क्षमता तेज बनी रहती है.
DRAM भी Volatile होती हैं. इसलिए इसमें भी डाटा Power Supply On रहने तक ही स्टोर रहता हैं. आजकल Computers, Smartphones, Tablets आदि उपकरणॉं में DRAM का ही इस्तेमाल किया जाता है. क्योंकि यह SRAM से सस्ती भी होती हैं.
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What is Computer ROM
ROM की पूरी जानकारी
ROM का पूरा नाम Read Only Memory होता हैं. अर्थात इसका डाटा केवल Read किया जा सकता हैं. इसमे नया डाटा जोड नही सकते हैं. क्योंकि इसे Manufactures द्वारा ही एक बार Write करके दिया जाता हैं.
ROM में Computer Functionality से संबंधित निर्देश स्टोर किया जाते हैं. जिसमे कम्प्युटर को चालु करना भी शामिल हैं. इसे ‘Booting‘ कहा जाता हैं. कम्प्युटर के अलावा Washing Machines, Microwave Ovans एवं अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को भी ROM द्वारा ही Programed किया जाता हैं.
ROM एक Non-Volatile Memory होती हैं. मतलब इसमे स्टोर डाटा हमेशा के लिए उपलब्ध रहता हैं. Power Off होने पर भी डाटा डिलिट नही होता हैं. यह भी कम्प्युटर की प्राथमिक मेमोरी ही होती हैं.
ROM का पूरा नाम Read Only Memory होता हैं. अर्थात इसका डाटा केवल Read किया जा सकता हैं. इसमे नया डाटा जोड नही सकते हैं. क्योंकि इसे Manufactures द्वारा ही एक बार Write करके दिया जाता हैं.
ROM में Computer Functionality से संबंधित निर्देश स्टोर किया जाते हैं. जिसमे कम्प्युटर को चालु करना भी शामिल हैं. इसे ‘Booting‘ कहा जाता हैं. कम्प्युटर के अलावा Washing Machines, Microwave Ovans एवं अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को भी ROM द्वारा ही Programed किया जाता हैं.
ROM एक Non-Volatile Memory होती हैं. मतलब इसमे स्टोर डाटा हमेशा के लिए उपलब्ध रहता हैं. Power Off होने पर भी डाटा डिलिट नही होता हैं. यह भी कम्प्युटर की प्राथमिक मेमोरी ही होती हैं.
ROM की विशेषताएँ
- ROM एक स्थायी मेमोरी होती हैं.
- Basic Functionality के निर्देश स्टोर रहते हैं.
- केवल Readable होती हैं.
- RAM की तुलना में सस्ती होती हैं.
- सी पी यु मेमोरी का भाग होती है.
- ROM एक स्थायी मेमोरी होती हैं.
- Basic Functionality के निर्देश स्टोर रहते हैं.
- केवल Readable होती हैं.
- RAM की तुलना में सस्ती होती हैं.
- सी पी यु मेमोरी का भाग होती है.
ROM के विभिन्न प्रकार -Types of ROM
- MROM
- PROM
- EPROM
- EEPROM
- MROM
- PROM
- EPROM
- EEPROM
1. MROM
MROM का पूरा नाम Mask Read Only Memory होता हैं. इसे Manufactures द्वारा डिवाइस में ही Programed किया जाता हैं. MROM अन्य ROMs की तुलना में सस्ती और कम स्पेस में ज्यादा डाटा स्टोर करने की क्षमता प्रदान करती हैं. मतलब इसकी Data Store Density अधिक होती हैं.
MROM का पूरा नाम Mask Read Only Memory होता हैं. इसे Manufactures द्वारा डिवाइस में ही Programed किया जाता हैं. MROM अन्य ROMs की तुलना में सस्ती और कम स्पेस में ज्यादा डाटा स्टोर करने की क्षमता प्रदान करती हैं. मतलब इसकी Data Store Density अधिक होती हैं.
2. PROM
PROM का पूरा नाम Programmable Read Only Memory होता हैं. इस Memory Chip में डाटा एक बार Write किया जाता हैं. जो हमेशा बरकरार रहता हैं.
PROM में Data Write करने के लिए विशेष उपकरणॉं का इस्तेमाल किया जाता हैं. इन्हे PROM Programmer या PROM Burner भी कहा जाता हैं. और PROM में Data Write करने की प्रक्रिया को PROM Burning कहा जाता है.
PROM का पूरा नाम Programmable Read Only Memory होता हैं. इस Memory Chip में डाटा एक बार Write किया जाता हैं. जो हमेशा बरकरार रहता हैं.
PROM में Data Write करने के लिए विशेष उपकरणॉं का इस्तेमाल किया जाता हैं. इन्हे PROM Programmer या PROM Burner भी कहा जाता हैं. और PROM में Data Write करने की प्रक्रिया को PROM Burning कहा जाता है.
3. EPROM
इसका पूरा नाम Erasable Programmable Read Only Memory होता हैं. जैसा इसके नाम से स्पष्ट होता हैं. इस ROM में उपलब्ध डाटा को Erase यानि मिटाया भी जा सकता है. डाटा को मिटाने के लिए Ultra-Violet Light का इस्तेमाल किया जाता है.
इसका पूरा नाम Erasable Programmable Read Only Memory होता हैं. जैसा इसके नाम से स्पष्ट होता हैं. इस ROM में उपलब्ध डाटा को Erase यानि मिटाया भी जा सकता है. डाटा को मिटाने के लिए Ultra-Violet Light का इस्तेमाल किया जाता है.
4. EEPROM
EEPROM का पूरा नाम Electrically Erasable Programmable Read Only Memoryहोता हैं. जिसका डाटा किसी Electrical Charge द्वारा मिटाया जा सकता हैं. यह अन्य ROMs से थोडी धीमी होती है.
EEPROM का पूरा नाम Electrically Erasable Programmable Read Only Memoryहोता हैं. जिसका डाटा किसी Electrical Charge द्वारा मिटाया जा सकता हैं. यह अन्य ROMs से थोडी धीमी होती है.
कम्प्युटर के फायदे और नुकसान
Advantage and Disadvantage of Computer
आधुनिक समय डिजिटल उपकरणॉं का हैं. जिनमे कम्प्युटर का महत्व सबसे ज्यादा हैं. आज लगभग हर क्षेत्र में कम्प्युटर के द्वारा कार्य होने लगा हैं. इसलिए बुढे से लेकर छोटा बच्चा तक कम्प्युटर का उपयोग करना सीख रहे हैं.
Computer ने मानव जीवन के रोजमर्रा के कार्यों को आसान, तेज और सस्ता भी बना दिया हैं. क्योंकि एक कम्प्युटर 10 इंसानों के बराबर काम अकेला कर सकता हैं. और इस Lesson में हम आपको ऐसे ही कुछ कम्प्युटर के फायदे और नुकसान के बारे में पूरी जानकारी देंगे.
कम्प्युटर के फायदे और नुकसान के बारे में जानकर आप कम्प्युटर से अच्छी तरह परिचित हो जायेंगे. और कम्प्युटर की विशेषताओं का ज्ञान भी हो जाएगा.
आधुनिक समय डिजिटल उपकरणॉं का हैं. जिनमे कम्प्युटर का महत्व सबसे ज्यादा हैं. आज लगभग हर क्षेत्र में कम्प्युटर के द्वारा कार्य होने लगा हैं. इसलिए बुढे से लेकर छोटा बच्चा तक कम्प्युटर का उपयोग करना सीख रहे हैं.
Computer ने मानव जीवन के रोजमर्रा के कार्यों को आसान, तेज और सस्ता भी बना दिया हैं. क्योंकि एक कम्प्युटर 10 इंसानों के बराबर काम अकेला कर सकता हैं. और इस Lesson में हम आपको ऐसे ही कुछ कम्प्युटर के फायदे और नुकसान के बारे में पूरी जानकारी देंगे.
कम्प्युटर के फायदे और नुकसान के बारे में जानकर आप कम्प्युटर से अच्छी तरह परिचित हो जायेंगे. और कम्प्युटर की विशेषताओं का ज्ञान भी हो जाएगा.
Advantage of Computer
Computer एक ऐसा उपकरण जिसने मानव द्वारा किये जाने लगभग सभी कामों पर कब्जा कर लिया हैं. और यह कार्य उसकी कुछ विशेषताओं के कारण ही हुआ हैं. नीचे कम्प्युटर के फायदों के बारे में बताया जा रहा हैं. कम्प्युटर की विशेषताओं को पढकर आप जान पायेंग़े कि हम इंसान कम्प्युटर को क्यों पसंद करते है?
Computer एक ऐसा उपकरण जिसने मानव द्वारा किये जाने लगभग सभी कामों पर कब्जा कर लिया हैं. और यह कार्य उसकी कुछ विशेषताओं के कारण ही हुआ हैं. नीचे कम्प्युटर के फायदों के बारे में बताया जा रहा हैं. कम्प्युटर की विशेषताओं को पढकर आप जान पायेंग़े कि हम इंसान कम्प्युटर को क्यों पसंद करते है?
High Speed – तेज गती
- कम्प्युटर एक तेज गति से कार्य करने वाली इलेकट्रॉनिक मशीन हैं.
- Computer हम इंसान की तुलना में बहुत तेज गती से कार्य कर सकता हैं.
- इसमे बहुत ज्यादा डाटा को एक साथ Process करने की क्षमता होती हैं.
- Computer Speed को Microseconds, Nanoseconds, और Picoseconds भी मापा जाता हैं.
- कम्प्युटर एक तेज गति से कार्य करने वाली इलेकट्रॉनिक मशीन हैं.
- Computer हम इंसान की तुलना में बहुत तेज गती से कार्य कर सकता हैं.
- इसमे बहुत ज्यादा डाटा को एक साथ Process करने की क्षमता होती हैं.
- Computer Speed को Microseconds, Nanoseconds, और Picoseconds भी मापा जाता हैं.
Accuracy – काम की शुद्धता
- Computer तेज होने के साथ-साथ Accurate भी होता हैं.
- यह सही Input देने पर सही Output ही देता हैं.
- इसकी गणना शत प्रतिशत Error Free होती हैं.
- इसके परिणामों की शुद्धता मानव परिणामों की तुलना में बहुत ज्यादा होती हैं.
- Computer तेज होने के साथ-साथ Accurate भी होता हैं.
- यह सही Input देने पर सही Output ही देता हैं.
- इसकी गणना शत प्रतिशत Error Free होती हैं.
- इसके परिणामों की शुद्धता मानव परिणामों की तुलना में बहुत ज्यादा होती हैं.
Storage Capability – भंडारण क्षमता
- मानव की तुलना में Computer Memory बहुत ज्यादा होती हैं.
- Computer Memory को कम या ज्यादा किया जा सकता हैं. जो हम इंसान नही कर सकते हैं.
- Computer में Audio, Video, Image, Text आदि प्रकार का डाटा भंडारित किया जा सकता हैं.
- किसी एक कम्प्युटर की स्मृति को दूसरे कम्प्युटर के साथ इस्तेमाल किया जा सकता हैं.
- मानव की तुलना में Computer Memory बहुत ज्यादा होती हैं.
- Computer Memory को कम या ज्यादा किया जा सकता हैं. जो हम इंसान नही कर सकते हैं.
- Computer में Audio, Video, Image, Text आदि प्रकार का डाटा भंडारित किया जा सकता हैं.
- किसी एक कम्प्युटर की स्मृति को दूसरे कम्प्युटर के साथ इस्तेमाल किया जा सकता हैं.
Diligence – परिश्रमी
- Computer बहुत मेहनती और थकान मुक्त उपकरण हैं.
- हम इंसानों की तरह थकावट, ऊबावपन, ध्यान केंद्रण आदि समस्याएं कम्प्युटर को नही होती हैं.
- यह एक ही काम को बिना थके बार-बार समान शुद्धता से कर सकता हैं.
- कम्प्युटर बिना थके कई दिनों, घंटों तक कार्य कर सकता हैं.
- Computer बहुत मेहनती और थकान मुक्त उपकरण हैं.
- हम इंसानों की तरह थकावट, ऊबावपन, ध्यान केंद्रण आदि समस्याएं कम्प्युटर को नही होती हैं.
- यह एक ही काम को बिना थके बार-बार समान शुद्धता से कर सकता हैं.
- कम्प्युटर बिना थके कई दिनों, घंटों तक कार्य कर सकता हैं.
Communication – बातचीत
- Computers एक दूसरे कम्प्युटर से आपस में Communicate कर सकते हैं.
- कम्प्युटर एक-दूसरे के साथ अपना डाटा आदान-प्रदान कर सकते हैं.
- ये Communicating Devices, LAN, WAN, Modem, Wi-Fi, Bluetooth, द्वारा एक दूसरे के साथ संपर्क में रहते हैं.
- Computers एक दूसरे कम्प्युटर से आपस में Communicate कर सकते हैं.
- कम्प्युटर एक-दूसरे के साथ अपना डाटा आदान-प्रदान कर सकते हैं.
- ये Communicating Devices, LAN, WAN, Modem, Wi-Fi, Bluetooth, द्वारा एक दूसरे के साथ संपर्क में रहते हैं.
Versatility – कार्य विविधता
- Computer एक Versatile Machine है.
- कम्प्युटर एक साथ कई अलग-अलग कार्यों को कर सकता हैं.
- इस पर एक साथ कई विषयों, क्षेत्रों के कार्य किये जा सकते हैं.
- Computer एक Versatile Machine है.
- कम्प्युटर एक साथ कई अलग-अलग कार्यों को कर सकता हैं.
- इस पर एक साथ कई विषयों, क्षेत्रों के कार्य किये जा सकते हैं.
Reliability – भरोसेमंद
- कम्प्युटर एक भरोसेमंद और विश्वसनीय उपकरण हैं.
- इसका जीवन कई वर्षों तक रहता हैं. इसलिए इस पर लम्बे समय तक कार्य किया जा सकता हैं.
- और Computer Parts को आसानी से Replace और Maintenance भी किया जा सकता हैं.
- कम्प्युटर एक भरोसेमंद और विश्वसनीय उपकरण हैं.
- इसका जीवन कई वर्षों तक रहता हैं. इसलिए इस पर लम्बे समय तक कार्य किया जा सकता हैं.
- और Computer Parts को आसानी से Replace और Maintenance भी किया जा सकता हैं.
Nature Friendly – प्रकृति का रक्षक
- Computers का सभी कार्य Paperless होता हैं. और जिस कार्य के लिए पहले कागज की जरूरत होती थी. वह भी कम्प्युटर से होने लगा हैं.
- इसलिए इनकी वजह से लाखों पेड कागज बनने से बच जाते हैं. इसलिए ये प्रकृति के रक्षक भी हैं.
- Computers का सभी कार्य Paperless होता हैं. और जिस कार्य के लिए पहले कागज की जरूरत होती थी. वह भी कम्प्युटर से होने लगा हैं.
- इसलिए इनकी वजह से लाखों पेड कागज बनने से बच जाते हैं. इसलिए ये प्रकृति के रक्षक भी हैं.
Reduction in Cost – लागत में कमी
- कागज के बिन काम होने पर कागज और इससे संबंधित Stationary का पैसा बच जाता हैं.
- और कम्प्युटर का काम मानव की तुलना में सस्ता पडता हैं.
- डाटा को भी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम में Store किया जा सकता हैं. जिससे फाईलों का पैसा बचता हैं.
- कागज के बिन काम होने पर कागज और इससे संबंधित Stationary का पैसा बच जाता हैं.
- और कम्प्युटर का काम मानव की तुलना में सस्ता पडता हैं.
- डाटा को भी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम में Store किया जा सकता हैं. जिससे फाईलों का पैसा बचता हैं.
Disadvantage of Computer
कहा जाता हैं कि जिस चीज में अच्छाई होती हैं उसमे बुराई भी होती हैं. इसी तरह फायदे के साथ नुकसान भी होता हैं. ये दोनों चीजे एक सिक्के के दो पहलु होते हैं. नीचे हम आपको कम्प्युटर की कुछ हानियाँ बता रहे हैं.
कहा जाता हैं कि जिस चीज में अच्छाई होती हैं उसमे बुराई भी होती हैं. इसी तरह फायदे के साथ नुकसान भी होता हैं. ये दोनों चीजे एक सिक्के के दो पहलु होते हैं. नीचे हम आपको कम्प्युटर की कुछ हानियाँ बता रहे हैं.
No Intelligence – विवेक क्षमता का अभाव
- Computer में बुद्धि नही होती हैं.
- Computer एक Dub Machine होती हैं. जो सोच नही सकती हैं.
- ये सिर्फ दिए गए निर्देशों का पालन कर सकते हैं. मगल कोई निर्णय नही ले सकते हैं.
- Computer में बुद्धि नही होती हैं.
- Computer एक Dub Machine होती हैं. जो सोच नही सकती हैं.
- ये सिर्फ दिए गए निर्देशों का पालन कर सकते हैं. मगल कोई निर्णय नही ले सकते हैं.
Human Dependency – मानव पर निर्भर
- स्वाचालिता इसकी एक विशेषता होती हैं. मगर ये सिर्फ मानव द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन ही कर सकता
हैं.
- कम्प्युटर अपने आप कोई कार्य नही कर सकता हैं.
- ये कोई भी कार्य के करने के निर्देशों के लिए हम इंसानों पर ही निर्भर रहता हैं.
Environment – वातावरण
- Computer को कार्य करने के लिए साफ-सुथरे वातावरण की जरूरत पडती हैं.
- धूल भरी जगह अप्र इसकी कार्यक्षमता प्रभावित होती हैं और ये कार्य करना बंद भी कर सकता हैं.
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- स्वाचालिता इसकी एक विशेषता होती हैं. मगर ये सिर्फ मानव द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन ही कर सकता
हैं.
- कम्प्युटर अपने आप कोई कार्य नही कर सकता हैं.
- ये कोई भी कार्य के करने के निर्देशों के लिए हम इंसानों पर ही निर्भर रहता हैं.
Environment – वातावरण
- Computer को कार्य करने के लिए साफ-सुथरे वातावरण की जरूरत पडती हैं.
- धूल भरी जगह अप्र इसकी कार्यक्षमता प्रभावित होती हैं और ये कार्य करना बंद भी कर सकता हैं.
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